Sensex – भारत का प्रमुख शेयर सूचकांक

जब हम Sensex, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर 30 बड़ी कंपनियों का भारित औसत है की बात करते हैं, तो तुरंत भारतीय इक्विटी बाजार की साख और दिशा याद आती है। इसमें शेरस, आईटी, वित्तीय और उपभोक्ता सेक्टर के प्रमुख कंपनियाँ शामिल हैं, जिनकी बाजार पूँजी के आधार पर वजन तय किया जाता है। इस सूचकांक की गणना BSE द्वारा प्रतिदिन सत्र के अंत में की जाती है, और इसका ऐतिहासिक रिकॉर्ड 1978 से शुरू होता है। शुरुआती दशकों में 1,000 अंक से शुरू हुआ Sensei आज 60,000‑70,000 के स्तर पर पहुँचा है, जो आर्थिक विकास, नीति बदल और वैश्विक प्रवाह को दर्शाता है। यह केवल अंक नहीं, बल्कि निवेशकों और नीति‑निर्माताओं के लिए एक तेज़ संकेतक है जो बाजार के स्वास्थ्य को जल्दी‑जल्दी पढ़ना चाहता है।

NSE, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, जहाँ भारत की प्रमुख ट्रेडिंग होती है भी दो मुख्य मंचों में से एक है। Nifty 50, NSE का प्रमुख सूचकांक, जो 50 अग्रणी कंपनियों को कवर करता है अक्सर Sensex के साथ तुलना में देखा जाता है, क्योंकि दोनों ही बाजार का ठंडा‑गरम मापदंड बताते हैं। जबकि Sensex बॉम्बे बाजार के प्रमुख 30 कंपनियों पर फोकस करता है, Nifty 50 व्यापक आधार पर 50 कंपनियों को सम्मिलित करता है, जिससे निवेशकों को दो अलग‑अलग दृष्टिकोण मिलते हैं। ये इंडेक्स संस्थागत व व्यक्तिगत निवेशकों दोनों के पोर्टफोलियो निर्माण, जोखिम प्रबंधन और अल्प‑माध्यमिक ट्रेडिंग रणनीति में मदद करते हैं। इसके अलावा, फ्यूचर और ऑप्शन के ट्रेडिंग में इनके आधारभूत मानकों का उपयोग किया जाता है, जिससे बाजार की तरलता और सहभागिता बढ़ती है।

इन सूचकांकों के साथ जुड़े निवेशक, वे लोग या संस्थाएँ जो शेयर बाजार में पूँजी लगाते हैं भी इस कहानी के अहम किरदार हैं। व्यक्तिगत निवेशकों से लेकर म्यूचुअल फंड, विदेशी संस्थागत पूँजी तक, सभी का व्यवहार Sensex और Nifty के उत्थान‑पतन से सीधे प्रभावित होता है। जब कंपनियों के क्वार्टरली परिणाम बेहतर होते हैं, तो दोनों सूचकांक तेजी से बढ़ते हैं, जिससे जोखिम‑उपज संतुलन में बदलाव आता है। वैश्विक आर्थिक डेटा, जैसे अमेरिकी फेड की ब्याज दर नीति या यूरोपीय बाजार की अस्थिरता, भी भारतीय सूचकांकों पर असर डालती है, क्योंकि विदेशी निवेशकों का प्रवाह या बहिर्वाह इस पर निर्भर करता है। इस तरह की परस्परक्रिया को समझकर ही कोई निवेशक सही समय पर एंट्री या एग्ज़िट कर सकता है।

नीचे की लेख सूची में आप देखेंगे कि Sensex कैसे दैनिक ख़बरों, कंपनी परिणामों और सरकारी नीतियों से जुड़ता है। उदाहरण के तौर पर Sun Pharma का 1050% अंतरिम डिविडेंड, टैक्स ऑडिट डेडलाइन में बदलाव, या भारी बारिश अलर्ट जैसे मौसम रिपोर्टें सभी सीधे या परोक्ष रूप से बाजार के मूड को प्रभावित करती हैं। इन घटनाओं के कारण शेयर मूल्यों में उतार‑चढ़ाव होता है, और इससे Sensex के अंक भी बदलते हैं। हमारी कवरेज केवल आंकड़े नहीं बल्कि उन कारणों की व्याख्या भी देती है जो निवेशकों को निर्णय लेने में मदद करती है। चाहे आप दीर्घकालिक निवेशक हों या दिन‑प्रतिदिन ट्रेडिंग के शौकीन, यह पेज आपको बाजार की चाल समझने, संभावित जोखिम पहचानने और अवसर पकड़ने में सहारा देगा।

तो आगे के लेखों में डुबकी लगाएँ और देखें कि आज के प्रमुख समाचारों ने Sensex और भारतीय शेयर बाजार को कैसे आकार दिया है।

सेन्सेक्स 85,836 पर, निफ़्टी ने 26,200 का नया मीलस्टोन छुआ: 26 सितंबर 2024 की बाजार जीत
वित्त

सेन्सेक्स 85,836 पर, निफ़्टी ने 26,200 का नया मीलस्टोन छुआ: 26 सितंबर 2024 की बाजार जीत

26 सितंबर को भारतीय शेयर बाजार ने मजबूत उछाल किया। सेन्सेक्स 85,836.12 पर बंद हुआ जबकि निफ़्टी 26,216 तक पहुंचा, पहली बार 26,200 स्तर को पार करते हुए। इस बढ़त के पीछे ऑटो और मेटल सेक्टर की ताकत थी, जबकि आईटी व फार्मा ने दबाव दिखाया। मिड‑कैप व स्मॉल‑कैप में कमजोरी के बावजूद बड़े‑कैप ने भरोसा दिखाया। नई IPO भी निवेशकों की रुचि को झलकाती रही।

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