जुलाई 2025: महीना जो टैक्स, तड़पती यादें और कानून सवाल लाया
इस महीने हमने तीन बड़ी खबरें प्रकाशित कीं जो सीधे आपकी ज़िंदगी, जनता और कानून से जुड़ी हैं। अगर आप चाह रहे हैं कि जल्दी समझ लें कि क्या हुआ और इसका असर क्या होगा, तो यह पृष्ठ उसी का संक्षेप है। हर खबर के साथ हमने कारण, तिथियाँ और आगे क्या देखने की जरूरत है—यह सब आसान भाषा में रखा गया है।
नया आयकर बिल 2025 — आपके टैक्स पर सीधे असर
कैबिनेट ने 7 फरवरी 2025 को नया "आयकर बिल 2025" मंजूर किया, जिसे हमने जुलाई में डिटेल में कवर किया। मुख्या बातें साफ हैं: पुराने 1961 के नियमों की जगह एक छोटा और सरल नियमावली आएगी, भाषा आसान होगी और डिजिटल संपत्तियों पर निगरानी बढ़ेगी। सबसे ध्यान देने वाली बात यह है कि कार्यपालिका को टैक्स सीमा बदलने का अधिकार मिलने का प्रावधान है — जिसका मतलब है कि नियम बदलने की प्रक्रिया तेज़ होगी।
यह बिल अप्रैल 2026 से लागू होगा, इसलिए अभी आपके लिए जरूरी है कि आप अपने इनवेस्टमेंट, डिजिटल एसेट और रिटर्न फाइलिंग की तैयारी शुरू कर दें। छोटे व्यापार या फ्रीलांसर हैं तो यह समझें कि टैक्स शब्दों का सरलीकरण और डिजिटल निगरानी सीधे रोजमर्रा के रूटीन को बदल सकती है। पूरा लेख पढ़ें ताकि आप अगले साल बदलावों के हिसाब से कदम रख सकें।
मनोरंजन की दुनिया: धीरज कुमार का जाना
मनोरंजन जगत ने जरूर विरह महसूस किया—दिग्गज अभिनेता व निर्माता धीरज कुमार का मुंबई में 79 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। पाँच दशक की फिल्म और टीवी सेवा में वे कई यादगार किरदार निभा चुके थे। उनका अंतिम संस्कार 16 जुलाई को हुआ। हमने उनकी करियर की प्रमुख हाइलाइट्स और उन फिल्मों/सीरियल्स पर लिखा जिनसे वे जुड़े रहे।
अगर आप उन मशहूर परफॉरमेंस की सूची, उनके करियर के मोड़ या इंडस्ट्री पर उनके प्रभाव के बारे में जानना चाहते हैं, तो हमारी विस्तृत रिपोर्ट पढ़ें—वहां हमने यादगार पलों और उनके योगदान को सहज भाषा में समेटा है।
तीसरी बड़ी रिपोर्ट ने सामाजिक-राजनीतिक सवाल उठाए: Bharat Bandh की संवैधानिक स्थिति क्या है और सुप्रीम कोर्ट ने इस पर क्या कहा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भारत बंद कोई वैधानिक अधिकार नहीं है और सार्वजनिक व्यवस्था भंग होने पर सख्त कार्रवाई हो सकती है। हमने हालिया अगस्त 2024 के आरक्षण विरोध आंदोलन को केस स्टडी की तरह लिया ताकि आप समझ सकें कि किन हालात में कानून हस्तक्षेप करता है।
इन तीन खबरों का सार यही है: टैक्स कानून बदल रहे हैं, सांस्कृतिक दुनिया एक युग खो रही है और नागरिक विरोध पर कानूनी सीमाएँ स्पष्ट हो रही हैं। अगर आप हर खबर का पूरा विश्लेषण पढ़ना चाहते हैं, तो संबंधित पोस्ट खोलें—हमने हर लेख में सरल भाषा में जवाब और व्यवहारिक सलाह दी है।
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