भारत की टैक्स व्यवस्था में बड़ा बदलाव: नया बिल क्या लाया?
अगर आपको इनकम टैक्स का हिसाब-किताब जटिल लगता है या हर साल बदलते नियमों से सिर घूमता है, तो ये खबर आपके लिए है। 7 फरवरी 2025 को केंद्र सरकार ने आयकर बिल 2025 को मंजूरी दे दी है। ये नया कानून 1961 से लागू पुराने आयकर अधिनियम की जगह लेगा। संसद में इसे 13 फरवरी को रखा गया, ताकि सभी सांसद उसपर चर्चा कर सकें और बदलाव सुझा सकें।
बीते कई दशकों से लोग आयकर रिटर्न भरने में, विवादों में फंसे नियम-कायदों का सामना कर रहे थे। नई व्यवस्था में सरकार ने टेक्स्ट को लगभग आधा कर दिया है यानी अब कागजों का ढेर नहीं होगा और भाषा भी आसान रखी गई है। इसका मकसद साफ है—करदाताओं को कम उलझनें हों, केसों की संख्या घटे, और सभी लोग आसानी से नियम समझ सकें।
बिल की खासियतें: क्या-क्या बदलेगा?
सबसे पहला बदलाव है कि अब टैक्स कानूनों में 'खुलापन' और 'साफगोई' आएगी। पुरानी भाषा में उलझे क्लॉज हटाए गए हैं, जिससे केसबाजी कम होने की उम्मीद है। अब डॉक्युमेंटेशन में भी सरलीकरण किया गया है।
बिल में कुछ नए और महत्वपूर्ण सेक्शन भी जोड़े गए हैं:
- डिजिटल संपत्तियों (जैसे क्रिप्टो करेंसी व टोकन) को भी 'अघोषित संपत्ति' की कैटेगरी में डाला गया है, जिससे उनपर भी टैक्स की निगरानी बढ़ेगी और खोजबीन के वक्त सरकार इन्हें भी कवर कर सकेगी।
- वित्त मंत्री के पास वित्तीय राहत और टैक्स लिमिट में फेरबदल के अधिकार होंगे, जिससे हर बार बजट का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। अब कभी भी टैक्स छूट या कमी लाई जा सकेगी।
- अब 'यूनिफाइड टैक्स ईयर' यानी कैलेंडर वर्ष को कर वर्ष में बदलने का प्रस्ताव है, ताकि लोग आसानी से अपनी आमदनी और टैक्स का ब्योरा बना सकें।
- फेसलेस असेसमेंट और तकनीकी एकीकरण को कानूनी मजबूती दी जाएगी, जिससे ई-फाइलिंग व वर्चुअल जांच में और तेजी आएगी।
सरकार ने पुराने कानून के जरूरी प्रावधान तो रखे हैं, लेकिन बेकार या दोहराव वाले हिस्से हटा दिए हैं। इससे कंपनियों और व्यक्तिगत टैक्सपेयर्स दोनों को राहत मिलेगी। टैक्स स्लैब और कॉरपोरेट टैक्स जैसे मुख्य ढांचे को 2026 तक पुराने ही नियम से चलाया जाएगा, ताकि किसी पर अचानक बोझ न बढ़े।
इस बिल पर संसद की चयन समिति ने 285 सुझाव भेजे थे, जिनको समाहित करके रिपोर्ट पेश की गई। इसी सत्र में मानसून के दौरान इसे पारित कराने की कोशिश होगी। 1 अप्रैल 2026 से ये नियम लागू हो जाएंगे, जिससे भारत की टैक्स व्यवस्था स्मार्ट और आम आदमी के करीब बन सकेगी।