धीरज कुमार: बहुआयामी कलाकार का सफ़र समाप्त
फिल्म और टेलीविजन इंडस्ट्री को स्तब्ध कर देने वाली खबर 15 जुलाई, 2025 को सामने आई, जब लोकप्रिय अभिनेता, निर्देशक और निर्माता धीरज कुमार ने 79 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। उनका निधन मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में हुआ, जहां वे 12 जुलाई से भर्ती थे। अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया था। मेडिकल रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्हें एक्यूट निमोनिया हुआ था, जिसके चलते उनका दिल अंतिम समय में जवाब दे गया। धीरज कुमार के अंतिम क्षणों में उनका परिवार उनके साथ था, उनका बेटा आशुतोष कुमार भी उस समय वहां मौजूद था।
धीरज कुमार ने अपने करियर की शुरुआत 1965 में की थी जब वे एक बड़े टैलेंट हंट में राजेश खन्ना और सुभाष घई जैसे नामों के साथ फाइनलिस्ट बने। बतौर अभिनेता उन्होंने ‘रोटी कपड़ा और मकान’ जैसी हिट फिल्मों में यादगार भूमिका निभाई। वहीं, 90 के दशक में उन्होंने अपने प्रोडक्शन हाउस ‘क्रिएटिव आई लिमिटेड’ के तहत टेलीविजन की दुनिया में कदम रखा और 'ओम नमः शिवाय', 'अदालत', 'साईं बाबा' जैसे सीरियल्स में अपनी खास छाप छोड़ी।
फिल्म और टेलीविजन दोनों में अमिट छाप
फिल्मों में उनके काम को खूब सराहा गया। ‘बेइमानी’, 'स्वर्ग नर्क', ‘पवित्र पापी’ और ‘सोने का दिल लोहे के हाथ’ जैसी कई फिल्मों में उन्होंने दमदार अभिनय किया। वहीं, टीवी की दुनिया में आध्यात्मिक और न्याय आधारित कार्यक्रमों के निर्माण ने उन्हें अनूठी पहचान दी। उनका प्रोडक्शन हाउस आज भी टीवी इंडस्ट्री में बड़ी भूमिका निभा रहा है।
धीरज कुमार को सिर्फ कलाकार के तौर पर नहीं, बल्कि एक सच्चे गुरु और संवेदनशील इंसान के रूप में याद किया जाता है। उनकी टीम के कई लोगों ने बताया कि वे सीनियर-जूनियर का फर्क नहीं महसूस होने देते थे। सबको एक परिवार की तरह ट्रीट करते और हर किसी की राय को अहमियत देते थे। अपने प्रोडक्शन हाउस की सक्सेस के पीछे उनकी लीडरशिप का बड़ा हाथ माना जाता है।
धीरज कुमार की अंतिम यात्रा 16 जुलाई को पवन हंस श्मशान घाट, मुंबई में निकाली गई। उनके पार्थिव शरीर का संस्कार परिवार के पंजाब से आने वाले सदस्यों के पहुँचने के बाद पूरा हुआ। उनके निधन पर बॉलीवुड और टीवी इंडस्ट्री की तमाम बड़ी हस्तियों ने गहरा दुख जताया। सोशल मीडिया पर भी फैंस और सेलेब्स ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। धीरज कुमार भले ही अब स्क्रीन पर नजर नहीं आएंगे, लेकिन उनकी बनाई यादें और योगदान इंडस्ट्री में हमेशा जिंदा रहेंगे।
adarsh pandey
जुलाई 16, 2025 AT 20:38
धीरज जी का योगदान हमेशा याद रहेगा, उनके बिना यह इंडस्ट्री अधूरी सी लगती है।
swapnil chamoli
जुलाई 16, 2025 AT 21:20
ऐसा प्रतीत होता है कि बड़े सितारों के पीछे हमेशा कोई गुप्त शक्ति काम कर रही होती है।
धीरज जी के असामयिक प्रस्थान को साधारण कारणों तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए।
manish prajapati
जुलाई 16, 2025 AT 22:43
धीरज जी की फ़िल्मों में जो ऊर्जा थी, वह आज के नए कलाकारों को प्रेरित करती रहेगी।
उनके द्वारा निर्मित टीवी सीरियल्स ने कई घरों में सकारात्मक भावना लाई।
ऐसे बहुमुखी कलाकार का जाना सच्ची निराशा है।
पर उनका काम हमेशा याद रहेगा और आने वाली पीढ़ियां इसे सराहेंगी।
उनका हौसला और समर्पण हमें भी आगे बढ़ने का हौसला देगा।
भाई, उनका योगदान कभी नहीं मिटेगा।
Rohit Garg
जुलाई 17, 2025 AT 00:06
देखो, धीरज जी ने सिर्फ अभिनय ही नहीं बल्कि दिशा‑निर्देशन में भी कमाल किया।
उनकी कहानी‑कहानी में रंगीन शब्दों का इस्तेमाल एक अनोखा तड़का था।
भाई, उनकी फ़िल्में कभी फँकी नहीं, हमेशा दिल के पास रही।
वाकई में, उनके जैसा गुरु आज नहीं मिलेगा।
Rohit Kumar
जुलाई 17, 2025 AT 02:53
धीरज कुमार जी का निधन भारतीय मनोरंजन जगत के लिए एक गहरा झटका है।
उनकी शुरुआती फिल्मी यात्रा 1965 में शुरू हुई, जब उन्होंने कई बड़े नामों के साथ टैलेंट हंट में प्रतिस्पर्धा की।
उनका पहला बड़ा ब्रेक ‘रोटी कपड़ा और मकान’ में आया, जहाँ उन्होंने अपने अभिनय की गहराई दिखा दी।
फिल्म में उनका किरदार आज भी दर्शकों के दिलों में बहुत जीवित है।
90 के दशक में उन्होंने टेलीविजन में कदम रखा और ‘ओम नमः शिवाय’, ‘अदालत’, ‘साईं बाबा’ जैसे महाकाव्य निर्माण किए।
उनकी प्रोडक्शन हाउस ‘क्रिएटिव आई लिमिटेड’ ने कई कलाकारों को मंच दिया।
वे न केवल एक कलाकार थे, बल्कि एक सच्चे गुरु भी थे, जिनकी टीम में उनका हर कोई समान था।
उनका नेतृत्व शैली-समानता, सम्मान और पारिवारिक माहौल-बहुत प्रशंसनीय था।
जिन लोगों ने उनके साथ काम किया, वे उनके साथ बिताए पलों को इज़हार-ए-इश्क़ से याद करते हैं।
उनकी आत्मा की दया, टीम के हर सदस्य के प्रति उनका व्यवहार, और छोटे‑छोटे बंधनों को तोड़ना, ये सभी बातें आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं।
इन्हीं कारणों से उनका नाम केवल फिल्म या टीवी के इतिहास में नहीं, बल्कि मानवता की पुस्तक में दर्ज होगा।
उनकी अकस्मात मृत्यु एक ऐसी बीमारी से जुड़ी है जिसका हम सभी को सावधान रहना चाहिए, विशेषकर बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
धीरज जी के अंतिम संस्कार में उनके परिवार ने बहुत श्रद्धा और शोक व्यक्त किया, और उद्योग के कई बड़े सितारों ने उनका सम्मान किया।
आज का भारतीय सिनेमा और टेलीविजन उनके न थाकने वाले योगदान के बिना उतना समृद्ध नहीं हो पाता।
हमें उनके कार्यों को आगे बढ़ाना चाहिए और नई पीढ़ी को वही मूल्यों सिखाना चाहिए जो उन्होंने सिखाए।
इसके अलावा, यह भी याद रखना चाहिए कि उनके जैसे महान व्यक्तियों का स्मरण केवल शोक नहीं, बल्कि प्रेरणा के रूप में होना चाहिए।
आइए हम सभी मिलकर उनका सम्मान करें और उनके द्वारा स्थापित मानकों को आगे बढ़ाते रहें।
Hitesh Kardam
जुलाई 17, 2025 AT 05:40
आजकल की फिल्म इंडस्ट्री में विदेशी असर बढ़ रहा है, इससे भारत को नुकसान ही होगा।
Nandita Mazumdar
जुलाई 17, 2025 AT 08:26
अगर ऐसा ही सोचते रहोगे तो कभी कुछ नहीं बदलेगा, हमें अपने कलाकारों को सम्मान देना चाहिए!