महंगाई दर का मतलब है कि समय के साथ आपके पैसे की खरीदने की ताकत घट रही है। आज जो सामान आपने खरीदा, वही कल ज्यादा दामों पर मिले तो यह महंगाई है। यह सीधे आपके रोज़मर्रा के खर्च, बचत और निवेश पर असर डालती है।
भारत में मुख्य रूप से दो सूचकांक देखे जाते हैं: CPI (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) और WPI (थोक मूल्य सूचकांक)। CPI घरों के रोज़मर्रा के खर्च जैसे खाना, किराया, बिजली और परिवहन को मापता है। WPI में विनिर्माण और थोक स्तर पर कीमतें शामिल होती हैं। सरकार या रिसर्च एजेंसियां नियमित अंतराल पर एक "बेस साल" के मुकाबले कीमतों में बदलाव निकालकर प्रतिशत में महंगाई दर बताती हैं।
महंगाई के पीछे आम कारण होते हैं: मांग ज्यादा होना, आपूर्ति में रुकावट (जैसे मौसम या अंतरराष्ट्रीय सप्लाई शॉक), कच्चे माल की कीमतों में उछाल और मुद्रा की आपूर्ति बढ़ना। कभी-कभी सरकार की सब्सिडी या टैक्स में बदलाव भी कीमतें प्रभावित करता है।
महंगाई होने पर आपका फिक्स्ड इनकम (जैसे बैंक एफडी या पेंशन) कम प्रभावी हो सकता है। रोज़मर्रा की चीजें महंगी होने से बचत घटती है और बजट पर दबाव बढ़ता है। तो सवाल आता है — आप इसे कैसे संभालें?
सबसे पहले, अपने खर्चों का बेसिक बजट बनाइए और गैरज़रूरी खर्चों को तुरंत पहचानें। हर महीने एक छोटा आपातकालीन फंड रखें ताकि अचानक दाम बढ़ने पर परेशानी न हो।
निवेश की रणनीति बदलें: सिर्फ फिक्स्ड डिपॉज़िट पर निर्भर न रहें। लंबी अवधि में इक्विटी और म्यूचुअल फंड (SIP) महंगाई से बेहतर रिटर्न दे सकते हैं। सरकार के इन्फ्लेशन-इंडेक्सेड बॉन्ड और कुछ प्रकार के टॅक्स-फ्री निवेश भी देखें। सोना और रियल एस्टेट जैसे संपत्ति विकल्प भी महंगाई के खिलाफ कवर दे सकते हैं, पर जोखिम और लिक्विडिटी ध्यान में रखें।
रोज़मर्रा की खरीदारी में स्मार्ट बनें: ग्रोसरी की लिस्ट पहले से बनाएं, मौसम के अनुसार खरीदें और ऑफ़र-सब्सिडी की तुलना करें। जितना संभव हो, छूट और कैशबैक का लाभ उठाइए।
अगर आप नौकरी में हैं तो अपनी सैलरी में महंगाई के अनुरूप बढ़ोतरी पर बातचीत करें। व्यवसाय करने वाले अपने प्राइसिंग और सप्लाई चैन को रिव्यू कर के कीमतों के प्रभाव को न्यूनतम कर सकते हैं।
अंत में, महंगाई को पूरी तरह रोका नहीं जा सकता, पर उसे समझकर और योजना बनाकर आप अपने पैसे की कीमत बचा सकते हैं। छोटे-छोटे कदम मिलकर बड़े अंतर पैदा करते हैं।
फेडरल रिजर्व ने 18 दिसंबर, 2024 को ब्याज दर में की गई एक और कटौती का ऐलान किया है। यह कटौती अमेरिकी आर्थिक नीति में एक प्रमुख कदम माना जा रहा है। यह कटौती फेड के आर्थिक दृष्टिकोण को दर्शाती है, जिसमें बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों को समीकरण में लाने की कोशिश की गई है। यह लगातार तीसरी बार है जब दर में कटौती की गई है।