हाई कोर्ट

जब हम हाई कोर्ट, प्रत्येक राज्य में स्थित उच्चतर कोर्ट, जो नीचे के जिलाई कोर्टों के फैसलों की पहली अपील सुनता है और मौलिक अधिकारों की सुरक्षा करता है. इसका वैकल्पिक नाम उच्च न्यायालय भी है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट, देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था, जो हाई कोर्ट के आदेशों की अंतिम समीक्षा करती है का संबंध भी अनिवार्य है। हाई कोर्ट न्यायिक प्रक्रिया, दावेदार‑प्रतिवादी के बीच सुनवाई, साक्ष्य प्रस्तुति और आदेश जारी करने की क्रमबद्ध व्यवस्था को नियंत्रित करता है, जबकि वह हाई कोर्ट के तहत जारी किए गए निर्णय अक्सर सामाजिक और आर्थिक नीतियों को दिशा‑निर्देशित करते हैं।

इस संस्थान के कार्य को आकार देने वाले मुख्य घटक विधि, संविधान, अधिनियम और न्यायिक निर्णयों का समुच्चय जो कोर्ट की कार्यक्षमता को सीमित एवं विस्तारित करता है और वकील, क्लाइंट के पक्ष में तर्क प्रस्तुत करने वाले पेशेवर, जो हाई कोर्ट में केस फाइलिंग, याचिका और अभियोचित कार्यवाही संभालते हैं हैं। हाई कोर्ट की सुनवाई में कानून का सही‑सही अनुप्रयोग, प्रक्रिया की स्पष्टता और वकीलों की दक्षता मिलकर न्यायिक निर्णय की गुणवत्ता तय करती है। इस प्रकार, हाई कोर्ट विधि को लागू करता है, न्यायिक प्रक्रिया को संचालित करता है और वकील के सहयोग से न्याय प्रदान करता है – यह त्रिकोण भारत में न्याय के संतुलन को बनाए रखता है।

अब आप नीचे दिए गए लेखों में हाई कोर्ट से जुड़े हालिया फैसलों, न्यायिक सुधारों और प्रमुख मामलों की विस्तृत जानकारी पाएँगे। चाहे आप छात्र हों, विधि‑परायण हों या सामान्य पाठक, इस संग्रह में आपको कानूनी ढाँचे की ताज़ा खबरें और विश्लेषण मिलेंगे जो आपके समझ को गहरा करेंगे। चलिए, इस विस्तृत सामग्री के माध्यम से हाई कोर्ट की दुनिया में डुबकी लगाते हैं।

टैक्स ऑडिट डेडलाइन एक महीने बढ़ी: हाईकोर्ट के आदेश से राहत
वित्त

टैक्स ऑडिट डेडलाइन एक महीने बढ़ी: हाईकोर्ट के आदेश से राहत

रुजिस्टर हाई कोर्ट ने CBDT को टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर 2025 तक बढ़ाने का निर्देश दिया। कर्नाटक और गुजरात हाई कोर्ट ने भी समान आदेश जारी किया। इस कारण कंपनियों, प्रोप्राइटरशिप और पार्टनरशिप फर्मों को अतिरिक्त समय मिलेगा। तकनीकी गड़बड़ियों से जूझ रहे टैक्सपेयर अब पेनल्टी के डर से मुक्त हैं।

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