डिजिटल कर उस कर को कहते हैं जो ऑनलाइन सेवाओं, डिजिटल विज्ञापनों, प्लेटफॉर्म फीस और कुछ अंतरराष्ट्रीय डिजिटल लेन-देन पर लगता है। अगर आप वेबसाइट, ऐप, ऑनलाइन मार्केटप्लेस या डिजिटल एड सर्विसेज से जुड़े हैं, तो यह आपके लिए जरूरी मुद्दा है। यह कर सीधे उपभोक्ता पर भी नहीं, बल्कि अक्सर वे कंपनियाँ या प्लेटफॉर्म पर लागू होता है।
सरकारें इसे इसलिए लागू करती हैं ताकि डिजिटल अर्थव्यवस्था में होने वाली कमाई का कर सही तरीके से वसूला जा सके—खासकर तब जब सर्विस देने वाली कंपनी किसी दूसरे देश में बैठी हो।
साधारण भाषा में देखें तो तीन तरह के लोग/फर्म प्रभावित होते हैं: (1) विदेशी डिजिटल कंपनियाँ जो भारत में सेवाएं देती हैं, (2) स्थानीय प्लेटफॉर्म जो तीसरे पक्ष के बिक्री पर कमीशन लेते हैं और (3) बड़े डिजिटल विज्ञापन और सब्सक्रिप्शन मॉडल।
आप एक आम उपभोक्ता हैं तो अक्सर सीधे नहीं देना होगा, पर व्यापार या फ्रीलांसर हैं तो आपकी जिम्मेदारी बढ़ सकती है—खासकर अगर आपकी आय या लेन-देन कुछ सीमा से ऊपर है। GST और कुछ खास इलाकों में अलग-थलग डिजिटल टैक्स दोनों लागू हो सकते हैं, इसलिए ध्यान दें कि कौन सा टैक्स कब और किसके ऊपर लगता है।
1) अपनी सर्विस और मॉडल को क्लियर करें: क्या आप डिजिटल सर्विस, विज्ञापन, प्लेटफॉर्म कमिशन या केवल कंटेंट बेच रहे हैं? टैक्स लागू होना इसी पर निर्भर करेगा।
2) रजिस्ट्रेशन और खाते रखें: GST पंजीकरण की आवश्यकता जाँचें। विदेशी क्लाइंट से रोज़मर्रा के लेन-देन पर अलग नियम हो सकते हैं—बिलिंग में देश का उल्लेख रखें और रिकॉर्ड संभाल कर रखें।
3) इनवॉइस में सही डिटेल दें: सेवा का प्रकार, जगह of supply, और applicable tax दिखाएं। यह audits में काम आएगा और क्लेम्स आसान होंगे।
4) कर की दरें और अपडेट देखें: डिजिटल कर की दरें समय-समय पर बदल सकती हैं। आधिकारिक नोटिस (CBDT/Finance Ministry) और अपने CA की सलाह पर भरोसा रखें।
5) कीमत पर असर सोचें: अगर आप प्लेटफॉर्म हैं तो डिजिटल कर की लागत ग्राहकों या विक्रेताओं पर डालने को लेकर निर्णय लें।
6) सलाह लें और सबूत बचा कर रखें: कर सलाहकार से मिलें और हर महीने के रसीद, बैंक स्टेटमेंट व कॉन्ट्रैक्ट संभाल कर रखें।
एक छोटा टिप: अक्सर लोग डिजिटल कर को सिर्फ विदेशी कंपनियों का मसला समझ लेते हैं। पर भारत में बने प्लेटफॉर्म, स्थानीय विज्ञापन सेल और बड़ी मार्केटप्लेस भी प्रभावित हो सकती हैं। इसलिए अनदेखा न करें—पहचानो, दस्तावेज रखो और समय पर सलाह लो।
अगर चाहें, मैं आपकी स्थिति के मुताबिक एक सरल चेकलिस्ट बना कर दे सकता हूँ—बताइए आप फ्रीलांसर हैं, छोटा ऑनलाइन स्टोर या बड़ी डिजिटल सर्विस कंपनी?
कैबिनेट ने 7 फरवरी 2025 को नया आयकर बिल 2025 मंजूर किया, जिससे 1961 के पुराने नियमों की जगह अधिक साफ और सरल टैक्स व्यवस्था आएगी। बिल के तहत टेक्स्ट छोटा, भाषा आसान व डिजिटल संपत्ति पर भी निगरानी बढ़ेगी और कार्यपालिका को टैक्स लिमिट बदलने के अधिकार मिलेंगे। नया बिल अप्रैल 2026 से लागू होगा।