राकेश किशोर ने सुप्रीम कोर्ट में गवई पर जूता फेंका, बार काउंसिल ने लाइसेंस निलंबित

राकेश किशोर ने सुप्रीम कोर्ट में गवई पर जूता फेंका, बार काउंसिल ने लाइसेंस निलंबित

जब सुप्रीम कोर्ट में जूते की आक्रमणनयी दिल्ली हुआ, तो बी.आर. गवई, मुख्य न्यायाधीश of सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया और राकेश किशोर, अधिवक्ता एक ही कक्ष में मौजूद थे। किशोर ने जूते को फेंकने से पहले "सैनातन धर्म का अपमान सहन नहीं करेंगे" ऐसे नारे लगाए, जिससे कोरिडोर में सन्नाटा छा गया।

सुप्रीम कोर्ट में हुई आक्रमण की पृष्ठभूमि

यह घटना कोर्ट नंबर 1 में चल रहे एक साधारण सुनवाई के दौरान हुई, जहाँ बेंच ने वकीलों द्वारा मामलों का उल्लेख करने के मुद्दे पर चर्चा की थी। कोर्ट की सुनवाई के दौरान अचानक एक वकील ने जूता निकाल कर फेंकने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा कर्मियों की तेज कार्रवाई के कारण जूता क़रण्य नहीं हो सका। इस बीच, गवई जी ने अपना मौन नहीं तोड़ा, बल्कि शांत रहकर कहा, "मैं असुविधित नहीं हूँ, आप सभी अपना तर्क जारी रखें।"

घटनाक्रम: राकेश किशोर की प्रतिक्रिया और संरक्षण

संभाली हुई सुरक्षा टीम ने तुरन्त हस्तक्षेप कर राकेश को कपड़े से बांधकर बाहर ले गए। बाहर निकालते समय वह बार‑बार चिल्लाया, "सैनातन का अपमान नहीं सहेंगे" और "भारत इस अपमान को नहीं सहेगा"। पुलिस ने उसे लगभग तीन घंटे तक पूछताछ में रखा, लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं किया गया। उसके जूते और दस्तावेज़ों को जांच के बाद वापस कर दिया गया।

बातचीत के दौरान, किशोर ने न्यू इण्डियन एक्सप्रेस से कहा कि उसे कोई पछतावा नहीं है और "ईश्वर ने ही मुझे प्रेरित किया"। "मैंने सभी परिणामों को सोचा, जेल भी, लेकिन यह सब ईश्वर के नाम पर था," उसने दृढ़ता से कहा। यह बयान कानूनी समुदाय में गहरा झटका बन कर उभरा।

संस्थागत प्रतिक्रियाएँ: बार काउंसिल और न्यायिक व्यवस्था

संस्थागत प्रतिक्रियाएँ: बार काउंसिल और न्यायिक व्यवस्था

तुरंत बाद में बार काउंसिल ऑफ़ इंडिया ने इस घटना पर घोषणा की। मनन कुमार मिश्रा, बार काउंसिल के चेयरमैन ने कहा, "ऐसा व्यवहार न्यायालय की गरिमा के विरुद्ध है और अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के उल्लंघन में आता है।" उन्होंने राकेश की लाइसेंस निलंबन का आदेश दिया और उसे पूरे भारत में प्रैक्टिस से प्रतिबंधित कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्री ने भी एक आंतरिक जांच का आदेश दिया, जिससे पुष्टि हुई कि सुरक्षा प्रक्रिया में कुछ चूक थी। इसके बाद कोर्ट ने सुरक्षा मानकों को सख्त करने की योजना बनाई, जिसमें कोर्ट हॉल में अतिरिक्त कैमरे और दिप्लॉयमेंट बढ़ाया जाएगा।

इस घटना के कानूनी एवं सामाजिक प्रभाव

  • अधिवक्ताओं के बीच कोर्टरूम में अनुशासन की कमी पर सवाल उठे।
  • सैनातन धर्म से जुड़े विचारों को लेकर बढ़ती संवेदनशीलता ने इस घटना को धार्मिक कट्टरता का भी पहलू दिया।
  • बार काउंसिल की कड़ी कार्रवाई ने न्यायिक प्रणाली में विश्वास को पुनर्स्थापित करने की कोशिश को दर्शाया।
  • सुरक्षा उपायों को पुन: समीक्षा करने के लिए एक विशेष समिति गठित की गई।

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि बेंच की स्वीकृति से पहले ऐसे आक्रमण को रोकना चाहिए, नहीं तो यह न्यायिक प्रक्रिया को गंभीर रूप से क्षति पहुंचा सकता है। एक वरिष्ठ वैदिक अध्ययन विशेषज्ञ ने जोड़ दिया, "जब धर्म को लेकर नारे उठते हैं, तो यह सामाजिक तनाव को बढ़ाता है, लेकिन कोर्ट को इस तरह के दिखावे से दूर रहना चाहिए।"

आगे क्या? भविष्य की सुरक्षा उपाय और संभावित कानूनी कार्यवाही

आगे क्या? भविष्य की सुरक्षा उपाय और संभावित कानूनी कार्यवाही

सुप्रीम कोर्ट ने घोषणा की कि वह अगली सुनवाई से पहले सभी वकीलों को एक संक्षिप्त ब्रीफ़िंग देगा, जिसमें कोर्टरूम एटिकिट और सुरक्षा प्रोटोकॉल की पुनरावृत्ति होगी। सुरक्षा बल को विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, और नया एंटी‑थ्रेट सॉफ़्टवेयर स्थापित किया जाएगा।

बार काउंसिल ने बताया कि यदि राकेश किशोर इस निलंबन के खिलाफ अपील करता है, तो सुनवाई का अवसर उसे 30 दिनों के भीतर मिलेगा। साथ ही, विधायिका के कुछ सदस्य अब सुप्रीम कोर्ट में सुरक्षा सक्रियकों की संख्या बढ़ाने के लिये बिल पेश करने की बात कर रहे हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या इस घटना से न्याय प्रणाली की स्वतंत्रता पर असर पड़ा?

स्थिति ने न्यायालय की सुरक्षा में खामियों को उजागर किया, पर मुख्य न्यायाधीश ने अपनी शांति बरकरार रखी, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में बाधा नहीं आई। हालांकि, भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिये उपायों को सुदृढ़ करना जरूरी है।

बार काउंसिल ने लाइसेंस निलंबन क्यों किया?

चैयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने बताया कि अधिवक्ता का यह कार्य न्यायालय की गरिमा और अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के सिद्धांतों के विरुद्ध है, इसलिए उनका लाइसेंस निलंबित कर दिया गया।

क्या राकेश किशोर पर आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा?

प्राथमिक जांच में कोर्ट ने कोई आपराधिक मामला नहीं दर्ज किया, पर भविष्य में यदि नई साक्ष्य सामने आते हैं तो पुलिस पुनः विचार कर सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा में कौन‑सी नई परिवर्तन करने की घोषणा की?

न्यायालय ने अतिरिक्त कैमरे लगवाने, एंटी‑थ्रेट सॉफ़्टवेयर स्थापित करने और सुरक्षा कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण देने की योजना बनायी है।

क्या इस घटना का धार्मिक संवेदनशीलता पर कोई असर पड़ा?

वकील ने "सैनातन धर्म" को लेकर नारों का उपयोग किया, जिससे धार्मिक संवेदनशीलता पर चर्चा बढ़ी, पर न्यायालय ने धार्मिक मुद्दों को केस से अलग रखकर प्रक्रिया जारी रखी।

1 टिप्पणि

  • Atish Gupta

    Atish Gupta

    अक्तूबर 7, 2025 AT 04:35

    सुप्रीम कोर्ट में जूते की घटना न्यायिक प्रक्रिया के अद्यतन प्रोटोकॉल पर गंभीर पुनर्विचार का संकेत देती है।

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