क्या आपने कभी सोचा है कि मौसम की सटीक रिपोर्ट, मोबाइल कॉल और मैप की लाइव लोकेशन कैसे पहुंचती है? ये सब सैटेलाइट्स की वजह से होता है। इस पेज पर हम सीधे-सीधे और काम की जानकारी देंगे — कौन सा लॉन्च हुआ, किस तरह का उपग्रह है, और इसका आम जिंदगी पर क्या असर होगा।
सैटेलाइट कई तरह के होते हैं: कम्युनिकेशन, नेविगेशन (GPS/GNSS), अर्थ ऑब्ज़र्वेशन (मौसम और कैटास्ट्रोफिक निगरानी), और वैज्ञानिक मिशन। हर प्रकार की खबर अलग तरह का इम्पैक्ट दिखाती है। उदाहरण के लिए, नया मौसम उपग्रह तूफान की पूर्वसूचना बेहतर बनाता है, जबकि कम्युनिकेशन सैटेलाइट दूरदराज के इलाकों में इंटरनेट उपलब्ध कराते हैं।
छोटे सैटेलाइट (क्यूब्सैट, स्मॉलसैट) सस्ते लॉन्च के कारण तेज़ी से बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही LEO (लो अर्थ ऑर्बिट) कन्स्टेलेशन इंटरनेट दे रहे हैं; इससे ग्रामीण कनेक्टिविटी बेहतर हो रही है। प्राइवेट स्पेस कंपनियों और रीयूजेबल रॉकेट्स ने लॉन्च की लागत घटा दी है, इसलिए हर महीने नए मिशन की खबरें मिलती हैं।
भारत में ISRO की योजनाएँ और उपग्रह लॉन्च अक्सर राष्ट्रीय और क्षेत्रीय असर रखते हैं — दूरसंचार, कृषि सर्वे, आपदा प्रबंधन और रक्षा तक। न्यू पॉलिसी-निर्माण और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी भी ध्यान में रखें, क्योंकि ये तय करते हैं कि तकनीक किस तरह इस्तेमाल होगी।
अगर आप ताज़ा जानना चाहते हैं तो हमारे 'सैटेलाइट' टैग को फ़ॉलो करें। हर लॉन्च की मुख्य बातें — मिशन का मकसद, लॉन्च डेट, ऑर्बिट और संभावित लाभ — सरल भाषा में हम बताते हैं। देखें कि कौन-सा उपग्रह आपके क्षेत्र में इंटरनेट या मौसम सेवाएँ प्रभावित कर सकता है।
जब भी कोई नया उपग्रह लॉन्च होता है, पूछने लायक बातें यह हैं: क्या यह कम्युनिकेशन या ऑब्ज़र्वेशन के लिए है? किस ऑर्बिट में जाएगा? लॉन्च का ज्यादातर असर कब दिखेगा? इन सवालों से आप खबर का असल मतलब समझ पाएँगे।
सैटेलाइट्स की खबरें सिर्फ खगोल विज्ञान नहीं हैं — ये आपकी रोज़मर्रा की ज़रूरतों से जुड़ी होती हैं। हम यहाँ पर साफ, छोटे-मोटे और उपयोगी पोस्ट देंगे ताकि आप हर न्यूज़ को जल्दी समझ सकें और जरूरी निर्णय ले सकें। समाचार संवाद पर सैटेलाइट टैग देखते रहिए, हम हर अपडेट पर जल्दी रिपोर्ट देंगे।
भारतीय सरकार ने देश में पारंपरिक टोल बूथों की जगह सैटेलाइट-आधारित टोल वसूली प्रणाली लाने की योजना बनाई है। इस नई प्रणाली को लागू करने की घोषणा केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने की। इस योजना के तहत वाहनों की यात्रा दूरी के अनुसार टोल राशि स्वचालित रूप से बैंक खाते से कट जाएगी। यह प्रणाली मौजूदा FASTag प्रणाली के साथ काम करेगी और टोल प्रणाली को सुधारने की दिशा में अहम कदम साबित होगी।