फेडरल रिजर्व (Fed) अमेरिका का सेंट्रल बैंक है। यह बैंकों के बीच की दर (Fed funds rate), मौद्रिक नीति और अमेरिकी डॉलर की सप्लाई पर फैसला करता है। तो अब सवाल यह है — इसका असर भारत जैसे देश पर कैसे दिखता है? छोटा जवाब: बहुत तेज़।
जब Fed ब्याज दर बढ़ाता है तो अमेरिका में पैसे की कीमत महंगी हो जाती है। परिणाम? निवेशक सुरक्षित डॉलर वाले एसेट की ओर भागते हैं, विदेशी पूंजी उभरती बाज़ारों (Emerging Markets) से निकल जाती है, और हमारे रुपये पर दबाव बनता है। इससे शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव, बांड यील्ड में बढ़ोतरी और इम्पोर्ट महंगा हो सकता है।
किसी भी Fed फैसले से पहले ये चीजें ध्यान में रखें —
सबसे पहले घबराएँ नहीं। Fed फैसले से तुरंत बाजार हिल सकता है, पर दीर्घकाले में अवसर भी बनते हैं। कुछ व्यवहारिक टिप्स:
किसी भी बड़ी वित्तीय चाल से पहले अपना जोखिम प्रोफाइल देखें और जरूरत पड़े तो वित्तीय सलाहकार से बात करें। Fed के हर फैसले का सीधा असर दिखता है, पर समझकर और सही रणनीति अपनाकर आप जोखिम घटा भी सकते हैं और मौके भी पा सकते हैं।
अगर आप चाहें तो मैं आपके लिए Fed की आने वाली प्रमुख तारीखें और कैसे उन्हें ट्रैक करें ये सूची बना सकता/सकती हूँ। बताइए, किस सेक्शन पर अधिक जानकारी चाहिए — व्यक्तिगत फाइनेंस, शेयर‑बाज़ार, या बचत‑रूपये पर असर?
फेडरल रिजर्व ने 18 दिसंबर, 2024 को ब्याज दर में की गई एक और कटौती का ऐलान किया है। यह कटौती अमेरिकी आर्थिक नीति में एक प्रमुख कदम माना जा रहा है। यह कटौती फेड के आर्थिक दृष्टिकोण को दर्शाती है, जिसमें बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों को समीकरण में लाने की कोशिश की गई है। यह लगातार तीसरी बार है जब दर में कटौती की गई है।
फेडरल रिजर्व की जुलाई बैठक के लिए सबकी नजरें तैयार हैं, जहां अर्थशास्त्री और निवेशक भविष्य की मौद्रिक नीति पर संकेतों का इंतजार कर रहे हैं। ताजे आर्थिक डेटा से संकेत मिलता है कि मुद्रास्फीति फेड के लक्ष्य की ओर वापस लौट रही है, जो ब्याज दरों के फैसले को प्रभावित कर सकता है। इस लेख में हम आर्थिक पूर्वानुमानों और वैश्विक व्यापार मुद्दों की चर्चा करेंगे।