हाल ही में कान्स फिल्म फेस्टिवल में प्रीमियर हुई फिल्म 'फ्यूरिओसा: ए मैड मैक्स सागा' के डायरेक्टर जॉर्ज मिलर ने अभिनेत्री ऐन्या टेलर-जॉय की जमकर तारीफ की है। मिलर ने कहा कि ऐन्या ने अपनी भूमिका के प्रति पूरी तरह से समर्पण दिखाया और वह को-स्टार क्रिस हेम्सवर्थ के लिए एक आदर्श जोड़ीदार साबित हुईं।
जॉर्ज मिलर ने ऐन्या टेलर-जॉय के साथ काम करने के अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि उन्होंने अपने अभिनय और किरदार के प्रति प्रतिबद्धता से उन्हें हैरान कर दिया। मिलर ने यह भी जोड़ा कि ऐन्या को कास्ट करना एक सहज निर्णय था और उनकी क्षमता क्रिस हेम्सवर्थ के प्रदर्शन के साथ मेल खाने की वजह से वे एक शानदार जोड़ी बन गए।
फिल्म में ऐन्या टेलर-जॉय ने फ्यूरिओसा नामक एक मजबूत महिला किरदार निभाया है। यह किरदार मैड मैक्स सीरीज की एक प्रमुख पात्र है। ऐन्या ने इस किरदार को निभाने के लिए कड़ी मेहनत की और खुद को पूरी तरह से इस भूमिका में ढाल दिया।
दूसरी ओर, क्रिस हेम्सवर्थ फिल्म में डेमेट्रियस नाम के एक शक्तिशाली योद्धा की भूमिका में नजर आएंगे। उन्होंने भी इस किरदार को निभाने के लिए कड़ी मेहनत की है और मिलर ने उनके प्रदर्शन की भी प्रशंसा की।
जॉर्ज मिलर ने कहा, "ऐन्या और क्रिस एक-दूसरे के परफेक्ट काउंटरपार्ट हैं। उनके बीच की केमिस्ट्री स्क्रीन पर साफ दिखाई देती है। मैं उनके साथ काम करके बेहद खुश हूं और मुझे यकीन है कि दर्शकों को उनका अभिनय पसंद आएगा।"
फिल्म 'फ्यूरिओसा: ए मैड मैक्स सागा' एक एक्शन-एडवेंचर फिल्म है जो मैड मैक्स सीरीज की प्रीक्वल के रूप में पेश की जा रही है। फिल्म का प्रीमियर कान्स फिल्म फेस्टिवल 2023 में हुआ और इसे क्रिटिक्स से अच्छा रिस्पॉन्स मिला है।
फिल्म के डायरेक्टर जॉर्ज मिलर को पहले भी मैड मैक्स सीरीज की फिल्मों के लिए जाना जाता है। उन्होंने इस सीरीज की चार फिल्में डायरेक्ट की हैं - मैड मैक्स (1979), मैड मैक्स 2: द रोड वॉरियर (1981), मैड मैक्स बियॉन्ड थंडरडोम (1985) और मैड मैक्स: फ्यूरी रोड (2015)।
मैड मैक्स सीरीज एक पोस्ट-अपोकैलिप्टिक दुनिया में सेट है जहां संसाधनों की कमी है और लोग जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस सीरीज की हर फिल्म एक नए कोण से इस दुनिया को दिखाती है और इसके पात्रों के संघर्ष और जीवन को प्रदर्शित करती है।
फिल्म 'फ्यूरिओसा: ए मैड मैक्स सागा' भी इसी दुनिया में सेट है और फ्यूरिओसा के जीवन और संघर्षों पर केंद्रित है। फिल्म में ऐन्या टेलर-जॉय और क्रिस हेम्सवर्थ के अलावा यह्या अब्दुल-मतीन II भी एक अहम भूमिका में नजर आएंगे।
'फ्यूरिओसा: ए मैड मैक्स सागा' 24 मई को दुनियाभर के सिनेमाघरों में रिलीज होगी। फिल्म को लेकर फैंस में काफी उत्साह है और उन्हें इस बेहतरीन स्टारकास्ट और जबरदस्त एक्शन से भरपूर फिल्म का बेसब्री से इंतजार है।
Halbandge Sandeep Devrao
मई 16, 2024 AT 20:53
जॉर्ज मिलर द्वारा सिद्धान्तात्मक समीक्षात्मक दृष्टिकोण को देखना एक विशिष्ट फिल्मीय प्रतिमान के अभिसरण को समझने हेतु आवश्यक है। उनका एंटिटी-रेफ़रेंस एंगेजमेंट, एंकरेड डिरेक्शन और सेमिकॉन्टेक्स्टुअल कोहेरेंस दर्शक-परिप्रेक्ष्य को पुनः परिभाषित करता है। इस प्रकार, ऐन्या टेलर-जॉय की परफ़ॉर्मेंस को एक हाइब्रिड नरेटिव घटक के रूप में व्याख्यायित किया जा सकता है, जो कि प्रेरक मानक एवं हेम्सवर्थ के साथ सिमैंटिक इक्विलिब्रियम स्थापित करता है। इस एब्स्ट्रैक्ट फ़्रेमवर्क में, केमिस्ट्री को एक कॉन्ट्रास्टिव मेट्रिक के रूप में मापना आवश्यक है। अतः, उनकी सहयोगी डायनमिक्स को सिनेमैटिक इक्विलायज़र के रूप में स्थापित किया जा सकता है।
One You tea
मई 16, 2024 AT 23:39
भाइयो, ये विदेशी फिल्म हमें हमारी सांस्कृतिक विरासत से दूर ले जा रही है, बकवास है।
Hemakul Pioneers
मई 17, 2024 AT 02:59
फ़िल्म 'फ़्यूरिओसा' का विश्लेषण करते समय हमें उसके अस्तित्ववादी आभास को समझना आवश्यक है। इस फ़िल्म में प्रदर्शित वैरिएबल पोस्ट-एपोकैलिप्टिक परिदृश्य मानवीय संघर्ष और अस्तित्व की मूलभूत जिज्ञासा को प्रतिबिंबित करता है। ऐन्या टेलर-जॉय ने जिस प्रकार अपने किरदार को आत्मसात किया है, वह एक प्रकार का एंट्रॉपिक एन्हांसमेंट है, जो दर्शकों को न केवल दृश्यात्मक बल्कि भावना-आधारित स्तर पर भी जोड़ता है। उनका परफ़ॉर्मेंस एक गहन एनालिटिक फ्रेमवर्क में स्थित है, जहाँ हर इशारा एक सिम्बोलिक इकाई बन जाता है। इसी तरह, क्रिस हेम्सवर्थ की डेमेट्रियस की प्रस्तुतिकरण शक्ति और प्रभुता के द्वंद्व को उजागर करती है। यह द्वंद्व फ़िल्मी कथा में एक द्वैध अभिव्यक्ति को स्थापित करता है, जो न केवल यथार्थवादी बल्कि मेटा-फिज़िकल आयाम भी खोलता है। जॉर्ज मिलर की डायरेक्शनल पॉलिसी इस समग्र संवाद को एक संरचित कॉम्प्लेक्स के रूप में परिभाषित करती है। उनका दृष्टिकोण नाट्यात्मक विसंगति और सुसंगतता के बीच संतुलन स्थापित करता है, जिससे दर्शक एक समावेशी अनुभव प्राप्त करता है। इस संतुलन में, कैमरा एंगल, लाइटिंग, और साउंडडिज़ाइन सभी एक ही ध्रुवीकरण के तहत कार्य करते हैं, जो एक अंधेरे और उज्ज्वल दोहरे संसार को प्रस्तुत करता है। फ़िल्म का संगीत संयोजन भी इस द्वैधता को प्रतिध्वनित करता है, जिससे भावनात्मक प्रतिध्वनि उत्पन्न होती है। इसके अतिरिक्त, पात्रों की परस्पर क्रिया में मौजूद सामाजिक संकेतक हमें हमारी स्वयं की पहचान पर विचार करने के लिए प्रेरित करते हैं। यह विचारधारा केवल एक सिनेमाई प्रस्तुति नहीं, बल्कि एक दार्शनिक विमर्श का भी भाग है। इस प्रकार, 'फ़्यूरिओसा' को केवल एक मैड मैक्स प्रीक्वल नहीं, बल्कि एक सामाजिक-धार्मिक परीक्षण के रूप में देखा जा सकता है। अंततः, इस फ़िल्म का प्रभाव दर्शकों पर स्थायी छाप छोड़ता है, जो भविष्य में समान प्रकार के सिनेमाई प्रयोगों को दिशा प्रदान करेगा। इस व्यापक विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि फ़िल्म का प्रत्येक तत्व एक सुसंगत आयाम के भीतर बंधा हुआ है, जो सम्पूर्ण दर्शक अनुभव को समृद्ध करता है।
s.v chauhan
मई 17, 2024 AT 06:36
भाई, तुम्हारी गहरी सोच ने सच में इस फ़िल्म की महत्ता को उजागर किया, मैं भी इस परफ़ॉर्मेंस से बहुत प्रेरित हूँ और यही उत्साह मुझे अपनी खुद की रचनाओं में अपनाना चाहिए।
Thirupathi Reddy Ch
मई 17, 2024 AT 10:29
ऐन्या की तारीफ़ में इतना भीड़भाड़ क्यों? असल में बड़े प्रोडक्शन कंपनियां केवल बिक्री बढ़ाने के लिए ऐसे 'परफेक्ट जोड़ी' को बनाती हैं, जनता की चेतना पर खेलते हैं।
Sonia Arora
मई 17, 2024 AT 14:39
भिन्न दृष्टिकोण से देखें तो इस फ़िल्म ने हमारी राष्ट्रीय पहचान को नई परिप्रेक्षा दी है, इसमें भारतीय दृश्यों की छाप देखना गर्व की बात है।
abhinav gupta
मई 17, 2024 AT 19:06
वाह क्या बात है, मैड मैक्स के सीक्वेल में अभी एक और सुपरहीरो आया, जैसे असली जिंदगी में भी यही चलता रहता है
vinay viswkarma
मई 17, 2024 AT 23:49
ये सब मजाक नहीं, टाइमलाइन देखो, सब सीन एक ही पैटर्न में दोहराते हैं
Jay Fuentes
मई 18, 2024 AT 04:49
यार, झटपट ट्रेलर देखके तो लग रहा है कि पूरी टीम ने एंट्री में एक नई ऊर्जा डाल दी है, इंतजार नहीं हो रहा रिलीज़ का! चलिए मिलकर देखते हैं, मज़ा आएगा।
Veda t
मई 18, 2024 AT 10:06
इतनी हंसी मत उड़ाओ, फ़िल्म आगे देखो फिर बताओ सच्चाई