GMP यानी Good Manufacturing Practice — मतलब ऐसी प्रक्रियाएं जिनसे उत्पाद हमेशा सुरक्षित और एक जैसी गुणवत्ता के बने रहें। आप छोटे फ़ूड प्रोसेसर हों, कॉस्मेटिक्स बनाते हों या फार्मा उद्योग में हों, GMP नज़रअंदाज़ करना महंगा पड़ सकता है। क्या आपके कच्चे माल, उत्पादन या पैकिंग में गड़बड़ी बचाने के आसान रास्ते हैं? हाँ, और GMP वही रास्ता बताता है।
पहला: साफ-सफाई और हाइजीन — उत्पादन इलाके, उपकरण और कर्मचारियों की सफाई पर कड़ाई रखें। दूसरा: दस्तावेजीकरण — हर स्टेप लिखित रखें, तभी पता चलेगा क्या, कब और किसने किया। तीसरा: प्रशिक्षित स्टाफ — ट्रेनिंग बिना अनुपालन अधूरा है। चौथा: मानक प्रक्रियाएँ (SOP) — हर कार्य का सरल और फॉलो-योग्य तरीका होना चाहिए। पाँचवाँ: गुणवत्ता जाँच और वैलिडेशन — उपकरण और प्रक्रियाओं की नियमित जांच करें।
1) कच्चे माल की जांच पर नियम बनाएं — सप्लायर से सर्टिफिकेट लें।
2) उत्पादन में क्रॉस-कंटेमिनेशन रोकें — अलग जगह और अलग उपकरण रखें।
3) साफ-सफाई शेड्यूल बनाएं और रिकॉर्ड रखें — रोज़ाना और साप्ताहिक दोनों स्तर पर।
4) उपकरण की कैलिब्रेशन और मेंटेनेंस का रिकॉर्ड रखें।
5) कर्मचारी प्रशिक्षण की लॉगबुक रखें और नई भर्ती को शुरुआती ट्रेनिंग दें।
6) रिवर्सिबल प्रक्रियाएं लिखें — अगर कुछ गलत हो, तो क्या कदम उठाने हैं यह स्पष्ट हो।
आडिट से डरो मत। आडिट्स आपकी कमजोरियों को दिखाते हैं ताकि आप उन्हें सुधर सकें। एक सरल आंतरिक आडिट हर महीने करें और मुख्य मुद्दों की सूची बनाकर सुधार करें।
कितनी कागज़ात जरूरी है? जितनी ज़रूरी हो उतनी। अनावश्यक फ़ॉर्म नहीं, पर हर महत्वपूर्ण कदम का रिकॉर्ड चाहिए — बिस्ट्रिक्ट बैच नंबर, उत्पादन तिथि, जांच रिपोर्ट, ट्रेनिंग रिकॉर्ड। ये सब आपको ट्रेस करने में मदद करते हैं।
सामान्य गलतियाँ जो अक्सर देखने को मिलती हैं: SOP पुरानी हो गई हो पर लागू वही पुरानी प्रैक्टिस हो, सफाई के रिकॉर्ड अधूरे हों, या कर्मचारी बिना ट्रेनिंग उपकरण चला रहे हों। इन पर फोकस करने से आप जल्दी सुधार देखेंगे।
अगर आप अभी शुरुआत कर रहे हैं, तो पहले ज़रूरी तीन काम करें — एक बेसिक SOP बनाइए, मुख्य उपकरण की कैलिब्रेशन शेड्यूल तय करें, और कर्मचारियों की बुनियादी GMP ट्रेनिंग कराइए। इससे दिखने वाला सुधार तुरंत मिलेगा।
GMP सिर्फ नियम नहीं, यह ग्राहकों को भरोसा देता है। गुणवत्ता पर ध्यान देने से recalls और कानूनी जोखिम कम होते हैं और ब्रांड की वैल्यू बढ़ती है। क्या आप अगले कदम के लिए एक सरल प्लान चाहेंगे? हम बताते हैं कि कैसे छोटे कदम बड़े असर लाते हैं।
मुंबई स्थित नॉन-बैंकिंग वित्तीय कंपनी, Manba Finance, का आईपीओ बोली प्रक्रिया 23 से 25 सितंबर 2024 तक चला। कंपनी के शेयर की कीमत 114-120 रुपये प्रति शेयर की तय सीमा में दी गयी थी और एक लॉट में 125 शेयर होते थे। आईपीओ ने 150.84 करोड़ रुपये जुटाए और 224.10 गुना सब्सक्राइब हुआ। निवेशक 26 सितंबर 2024 को आवंटन स्थिति की जांच कर सकते हैं, और 30 सितंबर को शेयर की लिस्टिंग की संभावना है।