भारत के प्रतिष्ठित चार्टर्ड एकाउंटेंट्स संस्थान (ICAI) ने सितंबर 2024 में आयोजित किए गए सीए इंटरमीडिएट परीक्षा के परिणाम की घोषणा की है। इस वर्ष, महिलाओं ने इस महत्वपूर्ण परीक्षा में सबसे आगे बढ़कर एक उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, जिसमें पहले तीन स्थानों पर महिला छात्राओं ने कब्जा जमाया है। परमी उमेश पारिख, जो मुंबई की रहने वाली हैं, ने पहला स्थान हासिल किया और ऑल इंडिया रैंक (AIR) 1 पर अपना नाम दर्ज किया है। इसी के साथ अन्य दो छात्राओं ने भी शानदार प्रदर्शन कर महिला सशक्तिकरण के उदाहरण प्रस्तुत किए हैं।
परमी उमेश पारिख ने 80.67% अंक अर्जित कर पहला स्थान प्राप्त किया है जो उनके कठिन परिश्रम और समर्पण का परिणाम है। पारिख की यह उपलब्धि न केवल उन्हें बल्कि उनके परिवार और संस्थान को भी गर्व का अहसास करा रही है। उन्होंने एक सुव्यवस्थित अध्ययन योजना और समय प्रबंधन के बूते पर इस सफलता को हासिल किया। पारिख का कहना है कि यह उनके लिए एक सपना पूरा होने जैसा है और वे अपने भविष्य के लक्ष्यों को पाने के लिए इसी तरह मेहनत करती रहेंगी।
सिर्फ पारिख ही नहीं, अन्य महिला छात्रों ने भी इस वर्ष के सीए इंटरमीडिएट परीक्षा में अपने बेहतरीन प्रदर्शन से सबको प्रेरित किया है। उच्च शिक्षा के इस क्षेत्र में महिलाएं अधिकाधिक संख्या में आ रही हैं और अपने कौशल और प्रतिभा का परिचय दे रही हैं। इसका एक कारण यह भी है कि महिलाएं धीरे-धीरे कैरियर के पारंपरिक विकल्पों से बाहर निकलकर चुनौतियों को स्वीकार कर रही हैं।
चार्टर्ड एकाउंटेंट बनने के लिए आईसीएआई द्वारा आयोजित विभिन्न स्तरों की परीक्षाएं उत्तीर्ण करनी पड़ती हैं। सीए इंटरमीडिएट इसकी दूसरी परीक्षा है, जो छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस परीक्षा में उत्तीर्ण होना न केवल विकास के नए रास्ते खोलता है बल्कि करियर में उन्नति के लिए भी महत्वपूर्ण है। आईसीएआई द्वारा परिणाम की घोषणा के साथ-साथ परीक्षार्थियों के अंक, रैंक और संबंधी शहरों की सूची भी जारी की गई है।
यह देखना बेहद महत्वपूर्ण है कि महिला छात्राएं न केवल अपनी मेहनत और लगन से अपने परिवार का नाम रोशन कर रही हैं, बल्कि समाज में एक प्रेरणा स्त्रोत भी बन रही हैं। यह उपलब्धि सिर्फ व्यक्तिगत प्रदर्शन का प्रमाण नहीं है, बल्कि समाज में बदलाव और महिला सशक्तिकरण का प्रतीक भी है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में लगातार बढ़ती महिला भागीदारी भारतीय समाज के विकास की सकारात्मक दिशा को दर्शाती है।
जहां सीए बनने का सफर चुनौतियों से भरा होता है, वहीं सफलता प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं के अनुभव अन्य छात्रों के लिए मार्गदर्शन का कार्य कर सकते हैं। यह सोचना जितना सरल है, उतना ही कठिन इसे अमल में लाना होता है। अपार मेहनत, समर्पण और स्पष्ट लक्ष्य की आवश्यकता होती है। ऐसे में, छात्राएं भविष्य में भी इस प्रवृत्ति को बनाए रखने के लिए खुद को प्रेरित करती रहेंगी, ताकि वे अपनी राह में आने वाली हर बाधा और चुनौतियों का सामना पूरी ताकत और आत्मविश्वास के साथ कर सकें।
इस प्रकार, सीए की परीक्षा को पास करना एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जाता है और यह महिला छात्रों के बढ़ते दबदबे को भी स्पष्ट करता है। आने वाले समय में महिला छात्राओं के लिए ऐसे और भी अवसर देखने को मिलेंगे जो उन्हें समाज में नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मदद करेंगे।
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