45वें शतरंज ओलंपियाड में भारत ने एक ऐसा इतिहास रचा है जिसे लंबे समय तक याद किया जाएगा। भारतीय पुरुष और महिला टीमों ने अपनी-अपनी फाइनल मुकाबलों में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया। यह अपने आप में ही एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ है कि दोनों टीमों ने एक साथ ओलंपियाड में स्वर्ण पदक जीता है।
भारतीय पुरुष टीम ने अपने आखिरी मुकाबले में स्लोवेनिया को 3-1 से मात दी। इसमें डी गुकेश, अर्जुन एरीगैसी और आर प्रज्ञानानंदा ने अपने-अपने मैच जीतकर भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाई। गुकेश ने व्लादिमीर फेडोसेव को पराजित किया, अर्जुन ने जान सुबेल्ज को हराया और प्रज्ञानानंदा ने आंतोन देमचेंको पर जीत हासिल की। ये सभी खिलाड़ी अपने प्रदर्शन से पूरी प्रतियोगिता में छाए रहे।
पुरुष टीम ने कुल 22 में से 21 अंक हासिल कर शानदार प्रदर्शन किया। सिर्फ एक मैच उज़्बेकिस्तान के साथ 2-2 की बराबरी पर खत्म हुआ। इससे पहले पुरुष टीम ने 2014 और 2022 में कांस्य पदक जीता था, लेकिन इस बार स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने एक नई मिसाल कायम की।
महिला टीम ने भी अपनी योग्यता का प्रदर्शन करते हुए अज़रबैजान को 3.5-0.5 के अंतर से पराजित किया। यह जीत महिला टीम के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण रही क्योंकि उन्होंने भी पहली बार स्वर्ण पदक हासिल किया। पिछले ओलंपियाड में महिला टीम ने कांस्य पदक जीता था, लेकिन इस बार उन्होंने स्वर्ण जीतकर नया इतिहास लिखा।
नेटिज़ेंस ने सोशल मीडिया पर भारतीय टीम की इस शानदार जीत की खूब तारीफ की। उन्होंने इसे 'सुपरबी डॉमिनेंट परफॉर्मेंस' करार दिया।
इस ऐतिहासिक जीत के पीछे कई खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत और समर्पण शामिल है। गुकेश, अर्जुन और प्रज्ञानानंदा ने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से भारतीय शतरंज को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया। इन सभी खिलाड़ियों ने अपने मैचों में बेहतरीन खेल दिखाया और यही वजह रही कि भारतीय टीम इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकी।
गुकेश की जीत व्लादिमीर फेडोसेव के खिलाफ बेहद महत्वपूर्ण रही क्योंकि इसे निर्णायक माना जा रहा था। अर्जुन की जीत भी काफी महत्वपूर्ण रही क्योंकि उन्होंने आखिरी मूव पर जाकर जीत हासिल की। प्रज्ञानानंदा की जीत ने भी सबको मंत्रमुग्ध कर दिया क्योंकि उन्होंने आंतोन देमचेंको पर एकतरफा विजय पाई।
क्रिकेट के बाद अब ऐसा लग रहा है कि भारत में शतरंज का भी बोलबाला हो गया है। शतरंज ओलंपियाड में भारतीय टीम की इस ऐतिहासिक जीत ने यह साबित कर दिया है कि भारत में शतरंज के खिलाड़ी भी किसी से कम नहीं हैं। यह जीत न सिर्फ खिलाड़ियों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है।
इस ऐतिहासिक जीत के बाद भारतीय शतरंज के भविष्य को लेकर बड़ी उम्मीदें हैं। यह जीत युवाओं के लिए एक प्रेरणा साबित होगी और उन्हें शतरंज खेल को गंभीरता से लेने का प्रोत्साहन देगी। भारतीय शतरंज समुदाय को उम्मीद है कि यह जीत और भी नए संभावनाओं के द्वार खोलेगी।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि 45वें शतरंज ओलंपियाड में भारत की यह स्वर्णिम जीत न सिर्फ खिलाड़ियों की मेहनत का फल है बल्कि पूरे देश का गर्व है।
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