निक्केई 225 इंडेक्स में बड़ी गिरावट का कारण
सोमवार को जापान का प्रमुख स्टॉक इंडेक्स, निक्केई 225, लगभग 13% की भारी गिरावट के साथ बंद हुआ। इस गिरावट का प्रमुख कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था के भविष्य को लेकर बढ़ती चिंताएं रही हैं। टोक्यो के समय के अनुसार बंद होते समय, निक्केई 225 इंडेक्स 4,500 से अधिक अंक गिरकर 31,341.29 पर बंद हुआ। इस बीच, व्यापक बाजार का टीओपीआईएक्स इंडेक्स भी 11.5% की गिरावट दर्ज की गई।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर नई रिपोर्ट
अमेरिका में नियोक्ताओं द्वारा भर्ती की गई गति में अप्रत्याशित रूप से गिरावट आई है, जिससे वैश्विक वित्तीय बाजारों में उथल-पुथल मच गई। इस रिपोर्ट के सामने आने से पहले निक्केई 225 इंडेक्स हाल ही में 42,000 के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुँच गया था। पिछले सप्ताह शुक्रवार को भी निक्केई 225 में 5.8% की गिरावट दर्ज की गई थी।
यह दो दिवसीय विपत्ति निक्केई 225 के इतिहास में सबसे बुरा प्रदर्शन है। इसके पहले सबसे बड़ी एक दिवसीय गिरावट अक्टूबर 1987 में देखने को मिली थी, जिसे 'ब्लैक मंडे' कहा गया था। तब इंडेक्स में 3,836 अंकों की या 14.9% की गिरावट आई थी।
बैंक ऑफ जापान का निर्णय और विदेशी मुद्रा प्रभाव
बैंक ऑफ जापान ने बुधवार को अपने बेंचमार्क ब्याज दर में वृद्धि की थी, जिसके बाद से टोक्यो में शेयर की कीमतें गिर रही हैं। इसके पीछे एक प्रमुख कारण जापानी येन की कमजोर स्थिति है, जो लंबे समय से केंद्रीय बैंक के 2% की मुद्रास्फीति लक्ष्य से ऊंचा है।
सोमवार की सुबह, डॉलर 142.67 येन पर व्यापार कर रहा था, जो शुक्रवार देर शाम के 146.45 येन से नीचे था। कुछ हफ्ते पहले डॉलर 160 येन से अधिक पर कारोबार कर रहा था। यूरो ने $1.0934 का आँकड़ा पार कर लिया, जो इससे पहले $1.0923 था।
प्रौद्योगिकी शेयरों पर अधिक गिरावट
इस साल की शुरुआत में कंपनियों के शेयरों में अत्यधिक खरीदारी के कारण शेयर बाजार की ऊंचाइयां देखी गई थीं। हालांकि, ताजा संकट ने सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य प्रौद्योगिकी कंपनियों जैसे चिप निर्माताओं पर गहरा असर डाला है।
सोमवार को दक्षिण कोरिया का कोस्पी सुचकांक 6.5% गिर गया क्योंकि सैमसंग के शेयर 7.7% तक डूब गए थे। ताइवान का ताइएक्स सूचकांक भी ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी के शेयरों में 8% की गिरावट के कारण 7.4% गिर गया।
अमेरिकी शेयर बाजार और अन्य सूचकांकों पर प्रभाव
शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भी कमजोरी देखी गई जब उम्मीद से कमजोर रोजगार डेटा के कारण यह चिंता बनी कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था ऊंची ब्याज दरों के बोझ के तले टूट रही है।
सोमवार की सुबह, एसएंडपी 500 का भविष्य 1.5% निचे था, जबकि डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज का भविष्य 0.7% नीचे था। इस अस्थिरता ने निवेशकों के बीच चिंता के स्तर को भी बढ़ा दिया है। एसएंडपी 500 के लिए आने वाले दिनों में गिरावट की चिंता मापने वाला सूचकांक 'विक्स' लगभग 26% गिर गया है।
Bitcoin, जो हाल ही में करीब $70,000 तक बढ़ गया था, 14% गिरकर $54,155.00 पर आ गया। तेल की कीमतें अपेक्षाकृत स्थिर रहीं, लेकिन बाजार की व्यापक स्थिति को दर्शाने के लिए यह काफी था।
swapnil chamoli
अगस्त 5, 2024 AT 19:12
वैश्विक वित्तीय जाल में इस स्तर की गिरावट को एक साधारण बाजार मूवमेंट नहीं माना जा सकता; यह गुप्त समूहों की सामूहिक रणनीति का परिणाम है। अमेरिकी फेड की मौद्रिक नीति में छिपी हुई एजेंडा, जो अंतरराष्ट्रीय बाजारों को नियंत्रित करने के लिए डिज़ाइन की गई है, इस सब को आगे बढ़ा रही है। निक्केई 225 की अचानक गिरावट इसे स्पष्ट संकेत देती है कि एशिया को भी इस बड़े खेल में हिस्सेदारी लेनी पड़ेगी। इसलिए यह केवल आर्थिक आँखा नहीं, बल्कि शक्ति के पुनर्संतुलन की पहली झलक है।
manish prajapati
अगस्त 11, 2024 AT 21:13
भाईयो, अभी तो बस एक अस्थायी झटका है, लेकिन देखें तो हमेशा से बाजार में एंटी‑साइक्लिकल रिवर्सल आता रहा है। इस गिरावट को एक सीख मानो और नई निवेश रणनीतियों को अपनाने का मौका समझो। अगले कुछ हफ्तों में संभावनाएं फिर से उज्ज्वल होंगी, बस धैर्य रखो! 🚀
Rohit Garg
अगस्त 18, 2024 AT 19:53
निकल्की 225 की इस तीव्र गिरावट को समझने के लिए हमें कई पहलुओं को मिलाकर देखना होगा। पहली बात, अमेरिकी रोजगार डेटा में गिरावट ने निवेशकों के मन में अस्थिरता पैदा कर दी है। दूसरा, फेडरल रिज़र्व की ब्याज दर वृद्धि ने वैश्विक तरलता को कमजोर कर दिया है। तीसरा, जापान के बैंक ऑफ़ जापान ने अभी हाल ही में बेंचमार्क रेट बढ़ाया है, जिससे येन की निरंतर कमजोरी स्पष्ट हुई। चौथा, डॉलर‑येन के विनिमय दर में उलटफेर ने विदेशी निवेशकों को भ्रमित कर दिया है। पाँचवाँ, कोरिया और ताइवान के टेक स्टॉक्स में बड़े नुकसान ने एशिया के टेक सेक्टर को झकझोर दिया है। छठा, बिटकॉइन जैसे क्रिप्टोकरेंसी को भी इस बाजार शॉक का असर पड़ा है, जिससे उनकी कीमतें गिर गईं। सातवाँ, तेल की कीमतों में स्थिरता का भ्रम भी निवेशकों को धोखा दे रहा था। आठवाँ, इस समय की तुलना 1987 के ब्लैक मंडे से की जा रही है, लेकिन इस बार कारण अधिक जटिल हैं। नौवाँ, कई विश्लेषकों ने कहा है कि इस गिरावट के बाद बाजार में पुनरुद्धार की संभावना है, लेकिन वह कब होगा यह अनिश्चित है। दसवाँ, कुछ बड़े हेज फंड इस मौके को लिवरेज्ड शॉर्ट पोजीशन में बदल रहे हैं। ग्यारहवाँ, भारतीय निवेशकों को भी इस वैश्विक अस्थिरता से सीधे असर का सामना करना पड़ेगा। बारहवाँ, भारतीय रसेट में भी इस अवधि में सावधानी बरतनी चाहिए। तेरहवाँ, टोक्यो स्टॉक एक्सचेंज की नयी नीतियां इस संकट में मददगार हो सकती हैं। चौदहवाँ, निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाकर जोखिम को घटाना चाहिए। और पाँचवाँ, अंत में यह कहना उचित है कि बाजार का इस प्रकार का झटका अस्थायी है, लेकिन इसके पीछे की जटिल आर्थिक कड़ियों को समझना जरूरी है।
Rohit Kumar
अगस्त 25, 2024 AT 18:33
बिल्कुल सही कहा, लेकिन यह भी याद रखना जरूरी है कि बाजार की उथल‑पुथल में अक्सर मौद्रिक नीतियों के साथ साथ राजनीतिक कारक भी भूमिका निभाते हैं। जापान की मौद्रिक नीति में अचानक बदलाव ने निवेशकों के मन में भय को और बढ़ा दिया। साथ ही, ग्लोबल सप्लाई चेन में मौजूदा रुकावटें और चीन‑यूएस ट्रेड टेंसन को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। इसलिए, एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाकर विविधीकरण और दीर्घकालिक लक्ष्य पर ध्यान देना सबसे बेहतर रणनीति होगी।
Hitesh Kardam
सितंबर 1, 2024 AT 17:13
भारत को विदेशी बाजारों के इस जुगाड़ में फँसना नहीं चाहिए।
Nandita Mazumdar
सितंबर 8, 2024 AT 15:53
देखो, अमेरिकी और यूरोपीय वित्तीय प्रणाली ही अक्सर हमारे उन्नत उद्योगों को नीचे धकेलने की कोशिश करती है; यही कारण है कि हमें स्वदेशी निवेश को प्राथमिकता देनी चाहिए। भारतीय कंपनियों को अपने तकनीकी क्षितिज को बढ़ाकर इस वैश्विक धूसरता से बाहर निकलना होगा। तभी हम इस विदेशी बाजार की अस्थिरता का सामना कर पाएंगे और अपने विकास को सुनिश्चित कर पाएंगे।
Aditya M Lahri
सितंबर 15, 2024 AT 14:33
धीरज रखो दोस्तों 😊, हर गिरावट के बाद फिर से उठने का मौका मिलता है। छोटे‑छोटे लक्ष्य बनाकर उन्हें पूरा करो, इससे आत्मविश्वास बढ़ेगा। निवेश में संयम और निरंतर सीखना ही सफलता की कुंजी है।
Vinod Mohite
सितंबर 22, 2024 AT 13:13
वित्तीय मार्केट डायनामिक के सन्दर्भ में, निक्केई 225 की इस डिप्रेशन को एखोनॉमिक वैरिएंस मॉडल के ट्रांसेंडेंट पैरामीटर के रूप में कन्टेक्स्चुअलाइज़ किया जा सकता है। इस पोर्टफोलियो रीबैलेंसिंग सिचुएशन में अल्फा‑ड्रिफ्ट, बीटा‑एडजस्टमेंट और कॅपिटल इन्फ्लो‑आउट फ़्लक्चुएशन को इंटेग्रेट करना आवश्यक है। वर्तमान में मार्केट प्रिसीजन इंडेक्स में इक्विटी एक्सपोज़र की वैरिएबिलिटी स्पाइक्ड है जो मैक्रो‑फैक्टर अनलेवर्सिंग को ट्रिगर करता है।
Rishita Swarup
सितंबर 29, 2024 AT 11:53
सच में, इस तकनीकी जार्गन के पीछे वही छिपा हुआ एलीट समूह है जो वैश्विक मुद्रा नियंत्रण को अपने हाथ में रखना चाहता है। वे इस गिरावट को इंटेलिजेंटली मैनिपुलेट करते हैं ताकि छोटे निवेशकों को डराया जा सके और बाजार की लिक्विडिटी को एन्हांस किया जा सके। हमें इसकी परतों को खोलकर देखना चाहिए, नहीं तो हमारी आर्थिक स्वतंत्रता खतरे में पड़ सकती है।
anuj aggarwal
अक्तूबर 6, 2024 AT 10:33
यह गिरावट पूरी तरह से बैंकों की लिवरेज्ड पोज़ीशन और फ्यूचर ट्रेडिंग की अतिरेक का परिणाम है, कोई जादू नहीं। अगर आप अभी भी सोच रहे हैं कि यह “सिर्फ एक अस्थायी हिचकी” है, तो आप बाजार की गहरी जटिलताओं को समझ नहीं पाए हैं। डेटा स्पष्ट रूप से दिखाता है कि प्रोफेशनल ट्रेडर्स ने अपने पोज़ीशन को अचानक क्लोज़ कर दिया, जिससे पैनिक सेल्स हुआ। इसलिए भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए रिगिड रिस्क मैनेजमेंट स्ट्रेटेजी अपनाना जरूरी है।
Sony Lis Saputra
अक्तूबर 13, 2024 AT 09:13
बिलकुल, आपके इस विश्लेषण में मैं सहमत हूँ, लेकिन इस बूम‑बस्ट साइकिल में निवेशकों की भावना भी एक बड़ा फेक्टर है। जब मार्केट सेंटिमेंट नेडिंग पॉइंट पर पहुँचता है, तो भले ही फंडामेंटल्स स्थिर हों, कीमतें फिर भी तेज़ी से गिर सकती हैं। इस कारण एक सेंसरी एनालिसिस लेयर जोड़कर रेगुलेशन स्कैन करना फायदेमंद रहेगा। कुल मिलाकर, टेक्निकल और फंडामेंटल दोनों पहलुओं को मिलाकर ही सही दिशा में कदम बढ़ाया जा सकता है।
Kirti Sihag
अक्तूबर 20, 2024 AT 07:53
वाह, यह तो एक दंगा जैसा लग रहा है! 😱 निक्केई 225 की इतनी तेज़ गिरावट को देखते हुए, बाजार में अब कुछ भी भरोसेमंद नहीं रह गया। हमें इस तरह के संकट में ठंडे दिमाग से योजना बनानी चाहिए, नहीं तो सब कुछ बर्बाद हो जाएगा।
Vibhuti Pandya
अक्तूबर 27, 2024 AT 06:33
मैं समझता हूँ कि स्थिति तनावपूर्ण है, लेकिन चलिए व्यक्तिगत हमले या अतिरंजित भाषा से बचते हैं। सभी पक्षों की राय को सुनना और डेटा‑ड्रिवेन डिस्कशन करना अधिक उत्पादक होगा। इस तरह हम मिलकर एक संतुलित समाधान निकाल सकते हैं।
Aayushi Tewari
नवंबर 3, 2024 AT 05:13
उल्लिखित आर्थिक संकेतकों के आधार पर, निक्केई 225 में हुई गिरावट को तुलनात्मक रूप से विश्लेषित करना आवश्यक है। यदि हम पिछले पाँच वर्षों के औसत गिरावट दरों और मौजूदा मंदी के प्रभाव को समेटें, तो भविष्य के रुझान का अनुमान अधिक विश्वसनीय होगा। इस प्रकार, निवेशकों को विविधीकृत पोर्टफ़ोलियो बनाने पर विचार करना चाहिए।
Rin Maeyashiki
नवंबर 10, 2024 AT 03:53
दोस्तों, परेशान मत हो! यह गिरावट बस एक अस्थायी मोड़ है, जैसे धूप के बाद कभी कभी बादल छा जाते हैं। इस समय में हमें अपने निवेश क्षितिज को विस्तारित करना चाहिए, छोटे‑छोटे लक्ष्यों को सेट करके उन्हें क्रमशः हासिल करना चाहिए। देखिए, जब बाजार फिर से उठेगा तो हमारे पास बेहतर एंट्री पॉइंट रहेगा, और हम इस अवसर को पकड़ कर बढ़त बना सकते हैं। फंड्स को हाई‑रिस्क एसेट्स से रिडीरेक्ट करके सैफ्टी नेट बनाना एक समझदार कदम है। साथ ही, इस गिरावट को सीख के रूप में लेकर अपने रिस्क मैनेजमेंट को अपडेट करें, जैसे स्टॉप‑लॉस सेट करना और पोर्टफोलियो रीबैलेंसिंग। अंत में, याद रखिए कि हर चुनौती के साथ नई संभावनाएँ भी आती हैं; इसलिए सकारात्मक सोच बनाए रखें और आगे बढ़ते रहें! 🚀
Paras Printpack
नवंबर 17, 2024 AT 02:33
आह, निक्केई 225 ने फिर से सबको 'वर्ल्ड फिनांसियल ड्रमर' बना दिया, जैसे हर बार की तरह। अगर आप इस गिरावट को नहीं समझ पाए तो शायद आप इसे सिर्फ एक 'ट्रेंड' समझते हैं, पर असली बात तो यही है कि बाजार हमेशा अनपेक्षित रहता है। अब तो सब्ज़ी मंडी की तरह है, जहाँ कीमतें ऊपर‑नीचे होती रहती हैं और हमें बस ध्यान रखना चाहिए कि कब खरीदना है।