पूर्वोत्तर भारत के मणिपुर राज्य में हालात बेहद तनावपूर्ण हो चुके हैं। हाल ही में जिरीबाम जिले में छह शव पाए गए, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। इस घटना के तुरंत बाद राज्य भर में हिंसा भड़क उठी है। आरोप है कि इन लोगों को उग्रवादियों ने अगवा कर मौत के घाट उतार दिया था। इन घटनाओं ने राज्य की राजनीति और सुरक्षा को गहराई तक प्रभावित किया है।
स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए सरकार ने इम्फाल घाटी के कई जिलों में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लागू कर दिया है। इम्फाल ईस्ट, इम्फाल वेस्ट, बिष्णुपुर, थौबल और काकचिंग जैसे जिलों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। अहम बाजार और व्यापारिक संस्थान दोपहर से पहले बंद हो गए क्योंकि लोगों के बीच बंद की आशंका से खौफ पसर गया था। इंटरनेट सेवाएं भी स्थगित कर दी गई हैं, ताकि अशांति फैलाने में तकनीकी माध्यमों का उपयोग ना हो सके।
इस हिंसा में मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह और अन्य प्रमुख राजनीतिक हस्तियों के निवासों पर हमला किया गया। सीएम बिरेन सिंह के अलावा, उनके दामाद और भाजपा विधायक आर के इमो के घर भी इस हिंसा की चपेट में आए। यह हमले सरकार की स्थिति को और चुनौतीपूर्ण बना रहे हैं। सत्तारूढ़ दल और विपक्षी पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र में अपने निर्धारित चुनाव रैलियों को रद्द कर दिल्ली लौटने का निर्णय लिया। इस बीच, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री से मणिपुर जाकर स्थिति का जायजा लेने की अपील की है।
अर्धसैनिक बलों के साथ-साथ सेना और असम राइफल्स के जवान प्रभावित क्षेत्रों में तैनात किए गए हैं। इसके बावजूद कई सड़कें बंद हैं और मेइरा पैबीस जैसी महिला समूहों की भूमिका प्रमुख रही है जिन्होंने मानव श्रृंखला बना कर यातायात रोक दिया है। कोऑर्डिनेटिंग कमिटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी (COCOMI) ने 24 घंटे के भीतर जिम्मेदार उग्रवादियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने अफस्पा (AFSPA) के खिलाफ भी आवाज उठाई है जो हाल ही में कई जिलों में दोबारा लागू किया गया है।
मणिपुर में अब तक करीब 250 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और लगभग 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं। इस हिंसा का प्रमुख कारण मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच चल रहे जातीय संघर्ष को माना जा रहा है, जो 3 मई 2023 से प्रचंड रूप ले चुका है। सैन्यबलों और सुरक्षा एजेंसियों के प्रयासों के बावजूद स्थिति निरंतर विस्फोटक बनी हुई है। देश भर से मणिपुर की इस संघर्षपूर्ण स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की जा रही है।
मणिपुर अपनी भौगोलिक स्थिति और रणनीतिक महत्व के कारण हमेशा से ही भारत की पूर्वोत्तर नीतियों का केंद्रीय हिस्सा रहा है। इस राज्य में जारी अशांति न केवल राज्य की आंतरिक सुरक्षा बल्कि पूरे देश की सुरक्षा की दृष्टि से भी चिंताजनक है। इसके अलावा, यहां की सांस्कृतिक विविधता और आर्थिक संसाधन भी देश के समग्र विकास के लिए महत्व रखते हैं।
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