प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 जून को अपने नए कार्यकाल की शुरुआत करते हुए अपनी पहली फाइल पर हस्ताक्षर किए और पीएम किसान निधि की 17वीं किस्त जारी करने को मंजूरी दी। इस कदम से भारत के लगभग 9.3 करोड़ किसान लाभान्वित होंगे और कुल ₹20,000 करोड़ राशि वितरण की जाएगी। पीएम मोदी ने इस अवसर पर कहा कि उनकी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और वे किसानों के हित में काम जारी रखने का संकल्प लेते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह स्पष्ट किया है कि उनकी सरकार की प्राथमिकता किसानों का कल्याण है। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार किसानों के साथ है और उनके हितों को सर्वोपरि मानती है। हम उनके सहयोग और समर्थन से उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि पीएम किसान निधि जैसी योजनाएं किसानों के सशक्तिकरण के लिए महत्वपूर्ण हैं और वे आगे भी ऐसी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करेंगे। सरकार का उद्देश्य किसानों की आय में वृद्धि करना और उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करना है।
हालांकि, विपक्ष ने पीएम मोदी के इस कदम को 'बड़ा तमाशा' करार देते हुए इसकी कड़ी आलोचना की है। कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि पीएम किसान निधि की किस्त किसानों का वैधानिक हक है और इसे चुनावी स्वार्थ के लिए रोका गया था। रमेश ने मांग की है कि किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा, कृषि ऋण माफी, स्थायी आयोग की स्थापना, गारंटीड बीमा भुगतान और निर्यात-आयात नीतियों पर किसानों से सलाह ली जाए।
जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि सरकार ने पिछले किस्त को चुनावी राजनीति के कारण रोका था और अब इस कदम को बड़े अंदाज में दिखाया जा रहा है। उन्होंने सरकार से स्पष्ट रूप से यह पूछने की मांग की कि किस कारण किसानों का वैधानिक हक इतने समय तक रोका गया। रमेश का कहना है कि किसानों को उनका हक समय पर और सुनिश्चित रूप से मिलना चाहिए, न कि चुनावी लाभ के लिए रोका जाना चाहिए।
विपक्ष ने किसानों के लिए कई महत्वपूर्ण मांगें भी उठाई हैं। रमेश ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा मिलना चाहिए ताकि किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिल सके। उन्होंने कृषि ऋण माफी की भी मांग की ताकि किसानों पर कर्ज का बोझ कम हो। स्थायी आयोग की स्थापना की भी आवश्यकता बताई गई ताकि किसान संबंधित मुद्दों का समाधान समय पर हो सके। साथ ही, गारंटीड बीमा भुगतान और निर्यात-आयात नीतियों पर किसानों से सलाह की भी बात की गई।
इस पूरे मामले की अहमियत यह है कि सरकार और किसानों के बीच एक सशक्त संवाद का निर्माण होना चाहिए। सरकार को किसानों के मुद्दों को जमीनी स्तर पर समझते हुए उनके समाधान के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। किसानों के बीच विश्वास का पुनर्निर्माण करने के लिए आवश्यक है कि सभी नीतियों और योजनाओं को समय पर और सही तरीके से लागू किया जाए।
गौरतलब है कि पीएम किसान निधि ही नहीं, बल्कि सरकार ने किसानों के लाभ के लिए कई अन्य योजनाएँ भी शुरू की हैं। इनमें किसान मन धन योजना, फसल बीमा योजना, सॉयल हेल्थ कार्ड योजना जैसे कई योजनाएं शामिल हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य किसानों को आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से आत्मनिर्भर बनाना है। पीएम मोदी ने कहा है कि वे आने वाले समय में भी किसानों के हित में नई योजनाओं की शुरुआत करेंगे।
पीएम मोदी द्वारा पीएम किसान निधि की 17वीं किस्त जारी करने का कदम जहां एक तरफ किसानों के लिए राहत लेकर आया है, वहीं दूसरी तरफ विपक्ष ने इस पर सवाल खड़े कर दिए हैं। किसानों का हित सर्वोपरि होना चाहिए और इसके लिए सरकार और विपक्ष को साथ मिलकर काम करना चाहिए। किसानों की विभिन्न मांगों को ध्यान में रखते हुए ही उनकी भलाई सुनिश्चित हो सकती है।
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