कोलकाता में रिकॉर्ड बारिश, दुर्गापूजा से पहले बाढ़ ने मार डाली मौत

कोलकाता में रिकॉर्ड बारिश, दुर्गापूजा से पहले बाढ़ ने मार डाली मौत

रिकॉर्ड वर्षा ने कोलकाता को हिला दिया

गुज़रते रात में कोलकाता और आस-पास के इलाकों पर 251.6 मिमी भारी बारिश गिरती रही – यह मात्रा 1988 के बाद से सबसे अधिक है, जैसा कि भारतीय मौसम विभाग (IMD) के कोलकाता के क्षेत्रीय प्रमुख एचआर बिस्वास ने बताया। बारिश की तेज़ धारा ने शहर के कई हिस्सों को जलमग्न कर दिया, जहाँ पैरों के नीचे पानी गहरा था, और लोगों को फर्श पर चलने के लिए जूते का इस्तेमाल करना पड़ा।

बादल टूटते ही बिजली के झलकियों के साथ झड़ते तारों ने 9 लोगों की जान ले ली, प्रमुख कारण इलेक्ट्रिक शॉर्टिंग बताया गया। इसके अलावा दो लोगों की नाविक में डूबने से मौत हो गई और अन्य कई लोग बालकनी या घर के अंदर फँसने के कारण पीड़ित हुए।

दुर्गापूजा की तैयारियों पर बापेसी असर

दुर्गापूजा की तैयारियों पर बापेसी असर

बाढ़ ने दुर्गापूजा के सबसे बड़े आयोजन के लिए बन रहे पंडालों को भी ध्वस्त कर दिया। बांस और अन्य सामग्री से बने अस्थायी ढाँचे जलस्तर के कारण टूट गए, जबकि पवित्र मिट्टी की मूरतें भी नमी से क्षतिग्रस्त हो गईं। यह बेमिसाल नुकसान इस बात को उजागर करता है कि प्राचीन उत्सव भी अत्यधिक मौसम परिवर्तन से कितनी असुरक्षित हो सकता है।

सड़कों पर पानी के स्तर ने कई वैहिकल्स को फँसाया, जिससे यात्रियों को जलपरिणी सड़कों पर चलना पड़ा। ट्रेन, बस और टेम्पो सहित सार्वजनिक परिवहन में बड़े पैमाने पर देरी और रद्दीकरण हुए, जबकि कई उड़ानें भी हवाओं की तेज़ी और विमानों के लिए असुरक्षित स्थितियों के कारण बंद करनी पड़ीं। बिजली अचानक कट गई और कई क्षेत्रों में घंटों तक बरकरार रही, जिससे लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगियों में और भी अडचन आई।

स्थानीय प्रशासन ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया, लेकिन जलजमाव की तीव्रता और फँसे हुए यात्रियों की संख्या के कारण मदद पहुँचने में देरी हुई। कई स्वयंसेवक और नागरिक खुद ही पैरों पे पानी में चलकर अपने पड़ोसियों की सहायता करने लगे। इस कठिन परिस्थिति में लोगों ने एक-दूसरे के साथ हाथ बंटाया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि प्राकृतिक आपदा में सामाजिक एकजुटता कितनी महत्वपूर्ण है।

इन घटनाओं से स्पष्ट है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव बदलते मौसम पैटर्न में कैसे परिलक्षित होते हैं, और यह जिम्मेदारी है कि भविष्य में मजबूत बाढ़ रोकथाम उपायों को अपनाया जाए।कोलकाता बाढ़ ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि शहर को तैयार रहना कितना जरूरी है, विशेषकर जब दुर्गापूजा जैसी बड़ी सामाजिक-धार्मिक घटनाएँ निकट हों।