पुंछ जिले में एलओसी पर घुसपैठ का प्रयास
1 अप्रैल 2025 को जम्मू और कश्मीर के पुंछ जिले में पाकिस्तान सेना ने एलओसी का उल्लंघन किया। नंगी टिकरी क्षेत्र के पास हुई इस घटना में पाकिस्तानी सैनिकों और घुसपैठियों के एक समूह द्वारा आईईडी लगाने की कोशिश की गई। दोपहर लगभग 1:30 बजे एक लैंडमाइन विस्फोट हुआ, जिसे भारतीय सेना द्वारा बिछाई गई भूमिगत बारूदी सुरंगों पर पाकिस्तानी सैनिकों के कदम रखने से जोड़ा जा रहा है। इसके बाद दो अतिरिक्त विस्फोट भी हुए, जो संभवतः घुसपैठियों द्वारा लाए गए आईईडी के कारण हुए।
भारतीय सेना की तीव्र प्रतिक्रिया
भारतीय सेना की नंगी टेकरी बटालियन ने इस घुसपैठ की घटना पर 'नियंत्रित और गणनात्मक' प्रतिक्रिया दी। प्रारंभिक रिपोर्टों में 4-5 पाकिस्तानी सैनिकों को जवाबी फायरिंग में मारे जाने की बात कही जा रही है, लेकिन भारतीय सेना ने हताहतों को लेकर मौन बनाए रखा और केवल यह कहा कि स्थिति नियंत्रण में है। यह घटना 2021 के बाद पहली बड़ी संघर्ष विराम उल्लंघन की घटना है, जब भारत और पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशकों ने संघर्ष विराम समझौता किया था।
इस घटना से पहले, कठुआ जिले में आतंकवाद निरोधी अभियान भी चल रहा था, जहां मार्च 27 को हुए एक आतंकी हमले में चार पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी। जम्मू के रक्षा पीआरओ लेफ्टिनेंट कर्नल सुनील बर्तवाल ने कहा कि भारतीय सेना एलओसी पर अपना वर्चस्व बनाए हुए है और 2021 के संघर्ष विराम समझौते के महत्व को दोहराया।
घटना गृह मंत्री अमित शाह के 7-8 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर दौरे से पहले हुई है, जब सीमा पार से तनाव अधिक है। सूत्रों के अनुसार पाकिस्तानी बलों ने हाल के महीनों में कई घुसपैठ के प्रयास किए हैं, जिनमें उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ा है। फरवरी में दोनों देशों के ब्रिगेडियर्स के बीच हुई फ्लैग मीटिंग में एलओसी पर शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्धता जताई गई थी, खासकर हाल की गोलीबारी और आईईडी हमले के बाद, जिसमें दो भारतीय सैनिकों की मौत हो गई थी।
swapnil chamoli
अप्रैल 3, 2025 AT 03:48
ऐसी सीमा परिदृश्यों में, अक्सर अनंत शक्ति संघर्ष के पीछे छिपी गहरी रणनीतिक योजनाएँ होती हैं। राजनीतिक अभिजात्य वर्ग इसको अक्सर राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम से छिपाते हैं, जबकि असल में ये हस्तक्षेप विदेशी एजेंसियों के हितों को सुरक्षित रखने का साधन बनते हैं। लऑसी के इस उल्लंघन को देखते हुए, यह साफ़ है कि हम एक विशाल जाल में फँसे हैं जिसका बुनियादी धागा अब तक अनदेखा रहा है। समानांतर में, मीडिया की सतही रिपोर्टिंग इन जटिलताओं को सरल बनाकर दर्शकों को भ्रमित करती है। इस कारण से, वस्तुस्थिति को समझने के लिए गहन विश्लेषण की आवश्यकता है।
manish prajapati
अप्रैल 3, 2025 AT 17:41
भाई, भारतीय सेना की तेज़ और सटीक प्रतिक्रिया देखना दिल को राहत देता है। हमें आशा रखनी चाहिए कि ऐसी दृढ़ कदम भविष्य में भी शांति की हद बनाए रखें।
Rohit Garg
अप्रैल 4, 2025 AT 07:35
अरे, ये सब आंकड़े और क़ीमतें का खेल है-जैसे किसी को गली में लड्डू बाँटना। वास्तविकता में, 4-5 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत की अफवाह बिना पुष्टि के फैल रही है, इसलिए हमें स्रोत की जाँच करनी चाहिए। साथ ही, आईईडी की चर्चा में अक्सर तकनीकी विवरणों को नजरअंदाज कर दिया जाता है, जबकि वही असली खतरे की जड़ है। अंत में, नागरिकों को शांत रहना चाहिए और सुरक्षा बलों को उनका कर्तव्य निभाने देना चाहिए।
Rohit Kumar
अप्रैल 4, 2025 AT 21:28
वर्तमान में सीमा पर तनाव का स्तर बढ़ रहा है, और यह कोई नया प्रकरण नहीं है। पिछले दशक में कई बर्दाश्त किए गए उल्लंघनों ने एक धुंधली रेखा को और स्पष्ट कर दिया है। ऐसी घटनाओं का प्रभाव केवल सैन्य रणनीति तक सीमित नहीं रहता, बल्कि स्थानीय समुदायों की सामाजिक धारा को भी बाधित करता है। जम्मू‑कश्मीर के लोगों को इस तरह की अचानक हिंसा से भारी मनोवैज्ञानिक बोझ झेलना पड़ता है, जो उनके दैनंदिन जीवन में झोंक देता है। सरकार ने इस ओर कई बार कहा है कि शांति संवाद के माध्यम से रखी जाएगी, पर वास्तविकता में अक्सर झड़पों से ही शर्तें ताकी जाती हैं। एलओसी पर भारतीय सेना की निरंतर निगरानी को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि वे अपनी जीत को स्थायी बनाना चाहते हैं। परन्तु, राजनीतिक दबाव और अंतरराष्ट्रीय समीक्षाएँ भी इस स्थिति को जटिल बनाती हैं। पाकिस्तानी पक्ष ने कई बार यह दावा किया है कि उनकी कार्यवाही क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक थी, परन्तु अधिकांश विश्लेषकों का मानना है कि यह एक प्रतिप्रतिक्रिया थी। वास्तव में, कई स्रोत यह संकेत दे रहे हैं कि इस घुसपैठ का उद्देश्य भारत में आंतरिक फूट को उजागर करना हो सकता है। इसके अलावा, ऐसी घटनाओं को कभी‑कभी एक बड़े रणनीतिक खेल का हिस्सा माना जाता है, जहाँ दोनों देश अपना प्रभाव क्षेत्र सुरक्षित रखने के लिए विभिन्न चालें चलते हैं। यह समझना आवश्यक है कि फिल्टर किया गया इंформация अक्सर जनता को भ्रमित करता है और असली लक्ष्य को छुपाता है। इस संदर्भ में, मीडिया का भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण है; सही और संतुलित रिपोर्टिंग ही जन जागरूकता बढ़ा सकती है। समुदाय को इस बात से अवगत कराना चाहिए कि किसी भी प्रकार की हिंसात्मक कार्रवाई का अंत में केवल नुकसान ही होता है। इसलिए, शांति की दिशा में छोटे‑छोटे कदम भी बहुत मायने रखते हैं, जैसे कि स्थानीय स्तर पर बचाव उपायों को मजबूत करना। उपर्युक्त सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, हमें यह समझना चाहिए कि द्विपक्षीय समझौते की पुनः पुष्टि से ही स्थायी समाधान निकलेगा। अंततः, यह सभी के समुचित प्रयास पर निर्भर करता है कि इस प्रकार के भौगोलिक तनाव को नास्तिक बनाकर सद्भावना की दिशा में ले जाया जाए।
Hitesh Kardam
अप्रैल 5, 2025 AT 11:21
इसी घुसपैठ का पर्दा हटा कर देखो तो पता चलता है कि यह पूरी योजना अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की दांव पर बनी हुई है।
Nandita Mazumdar
अप्रैल 6, 2025 AT 01:15
भारत की ताकत वही है जो हर धुंधली स्याही को उजाले में बदल देती है!