जब गौतम गंभीर, भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच ने 14 अक्टूबर, 2025 को वेस्टइंडीज जीत के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ़ कहा कि टेस्ट‑विशेषज्ञ खिलाड़ियों को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 14 नवंबर, 2025 से कोलकाता में शुरू होने वाली टेस्ट सीरीज से पहले रणजी ट्रॉफी में खेलने देना चाहिए, तो यह बात तुरंत बॉलपर्यंत पहुँच गई।
पृष्ठभूमि: भारत का अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम
भारत की क्रिकेट कैलेंडर इस साल बेमिसाल रूप से व्यस्त है। टी‑20 टीम 9 नवंबर, 2025 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ब्रिस्बेन में अपना आखिरी मैच खेलने वाली है, जबकि 14 नवंबर को कोलकाता में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की शुरुआत होगी। बीच‑बीच में एक‑दिन के (ODI) और टी‑20 सीरीज भी शेड्यूल में हैं, जिससे खिलाड़ियों को लगातार बदलते फ़ॉर्मेट्स में समायोजित होना पड़ता है।
गौतम गंभीर की सख्त नीति और उसका उद्देश्य
गुरुजी ने स्पष्ट किया, "कैसे भी हो, मैच अभ्यास का कोई विकल्प नहीं है।" उन्होंने कहा कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के प्रशिक्षण केंद्र (COE) में केवल तकनीकी drills नहीं, बल्कि वास्तविक प्रतिस्पर्धी माहौल ही खिलाड़ियों को तैयार कर सकता है। "पेशेवरता वही है, जो खिलाड़ी लगातार परिपक्व मुकाबले में खुद को निखारते हैं," उन्होंने जोड़ते हुए बताया कि घर‑घर के सत्रों से बेहतर परिणाम रेगुलर डोमेस्टिक मैचों से मिलते हैं।
वह रणजी ट्रॉफी 2025-26भारत में भाग लेने की सलाह दे रहे हैं, क्योंकि यह चार‑दिन की लंबी फॉर्मेट का सबसे बड़ा बेंचमार्क है। "टेस्ट सीरीज से ठीक पहले इस प्रतियोगिता में खेलने से खिलाड़ियों को दबाव, स्ट्रेटेजी और लगातार पिच बदलते हुए खेलने का अनुभव मिलेगा," उन्होंने कहा।
रणजी ट्रॉफी में भाग लेने वाले प्रमुख खिलाड़ी
गंभीर की नीति ने कई अंतरराष्ट्रीय सितारों को तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए अपनी राज्य टीमों में वापस आने के लिए प्रेरित किया। नीचे उन प्रमुख खिलाड़ियों की सूची है, जिन्होंने अपने‑अपने राज्य में रेगुलर क्रिकेट खेलने का इरादा जताया है:
- रविंद्र जडेजा (इंडियन टेस्ट स्क्वाड, वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया के साथ कोई ODI/T20 नहीं)
- के.एल. राहुल (बॉम्बे में वापस, जनवरी‑फरवरी के Ranji मैचों में भाग लेंगे)
- साई सुदर्शन (केरल के लिए लिफ्ट‑ऑफ़)
- देवदत्त पड्डीकल (केरल की टीम में पुनः सामिल)
- नारायण जगदीशन (बिहार में असाइनमेंट)
- ऋषभ पंत (दिल्ली स्क्वाड में नाम नहीं, लेकिन संभावना हाई)
- ध्रुव जुरेल (ह्यderabad के लिए डोमेस्टिक कबड्डी)
इन खिलाड़ियों के अलावा, कई उभरते हुए अंडर-19 और A‑टूर के खिलाड़ी भी इस सीज़न का हिस्सा बनेंगे, जिससे ग्रिड में नई ऊर्जा बिखर जाएगी।
बोर्ड का समर्थन और संभावित प्रभाव
राजीव शुक्ला, BCCI के उपाध्यक्ष ने स्पष्ट रूप से कहा, "गौतम बिल्कुल सही हैं।" उनका यह समर्थन मतलब है कि बोर्ड इस दिशा में कोई विरोध नहीं करेगा और संभवतः घरेलू कैलेंडर को पुनः व्यवस्थित करने के लिए अतिरिक्त दिनों की भी व्यवस्था करेगा। शुक्ला ने आगे बताया कि यह कदम न केवल टेस्ट तैयारी को बेहतर बनाएगा, बल्कि भारत की घरेलू क्रिकेट की प्रतिस्पर्धात्मकता को भी ऊँचा उठाएगा।
विशेषज्ञों की राय भी इस कदम को सकारात्मक मानती है। खेल विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. अनिल मिश्रा ने कहा, "लगातार मैच खेलने से खिलाड़ी की शारीरिक और मानसिक स्थिरता में वृद्धि होती है, खासकर जब फॉर्मेट बदलते रहे।" वहीँ, पूर्व भारतीय कप्तान अक्सरोत्री ने याद दिलाया कि 1999 में भारत ने घर के मैदानों पर लगातार रणजी ट्रॉफी जीतकर टेस्ट में एक बड़ा ब्रेक थ्रू हासिल किया था।
आगे क्या? आगामी टेस्ट सीरीज की तैयारियों का रास्ता
यदि इस योजना पर अमल हो जाता है, तो भारत की टीम को दो बड़े लाभ मिलेंगे। पहला, दक्षिण अफ्रीका की तेज़ पिचों और ऊँची बॉलिंग के लिए विशेष रूप से तैयार हो सकेगी। दूसरा, खिलाड़ियों को विभिन्न स्थितियों में लगातार खेलने का मौका मिलेगा, जिससे बैटिंग औसत और बॉलिंग इफेक्टिविटी दोनों पर सीधा असर पड़ेगा।
हालांकि, कुछ आलोचक भी हैं। क्रिकेट विश्लेषक रवीश सिंह ने चेतावनी दी कि बहुत सारे लगातार मैचों से थकान के जोखिम बढ़ सकते हैं और चोटों की संभावनाएँ भी। इस सिलसिले में BCCI ने अभी तक कोई विश्राम‑दिन या रोटेशन नीति की घोषणा नहीं की है।
समग्र रूप से, गौतम गंभीर की यह सख्त नीति भारतीय क्रिकेट के भविष्य को दिशा देने में एक महत्वपूर्ण मोड़ बन सकती है। अगर खिलाड़ी इस अवसर का पूरा उपयोग कर पाते हैं, तो 14 नवंबर से शुरू होने वाली दक्षिण अफ्रीका टेस्ट सीरीज में भारत को रणनीतिक लाभ मिल सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
रणजी ट्रॉफी खेलने से खिलाड़ियों को क्या लाभ मिलेगा?
रणजी ट्रॉफी भारत की सबसे पुरानी प्रथम वर्ग प्रतियोगिता है, जहाँ चार‑दिन के मैचों में निरंतरता और पिच समझ का परीक्षण होता है। इससे टेस्ट खोजी खिलाड़ियों को दीर्घकालिक सहनशक्ति, मिड‑ऑवर्स की रणनीति और विभिन्न परिस्थितियों में अंडर‑प्रेशर खेलना सीखने का अवसर मिलता है। यह सीधे ही दक्षिण अफ्रीका जैसी तेज़ पिचों वाली टीम के खिलाफ प्रदर्शन को बेहतर बनाता है।
दक्षिण अफ्रीका टेस्ट सीरीज कब शुरू होगी?
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहला टेस्ट 14 नवंबर, 2025 को कोलकाता में राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में शुरू होगा, और यह दो मैचों की श्रृंखला होगी।
BCCI के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने इस नीति पर क्या कहा?
राजीव शुक्ला ने स्पष्ट कहा, "गौतम बिल्कुल सही हैं," और कहा कि घरेलू मैचों में भागीदारी को बढ़ावा देना भारतीय टीम की टेस्ट तैयारी के लिए सबसे प्रभावी तरीका है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि बोर्ड इस दिशा में सभी आवश्यक समर्थन देगा।
क्या सभी प्रमुख इंडियन खिलाड़ियों ने रणजी ट्रॉफी में भाग लिया है?
रविंद्र जडेजा, केएल राहुल, साई सुदर्शन, देवदत्त पड्डीकल, नारायण जगदीशन, ऋषभ पंत और ध्रुव जुरेल ने अपने‑अपने राज्य टीमों में खेलने की पुष्टि की है। हालांकि कुछ खिलाड़ी अभी भी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ T20/ODI में लगे होने के कारण अलग‑अलग शेड्यूल पर हैं।
क्या इस नीति से खिलाड़ियों की चोट का खतरा बढ़ सकता है?
विश्लेषकों का मानना है कि लगातार मैचों से थकान के कारण चोटों की संभावना बढ़ सकती है। इसलिए BCCI को रोटेशन और विश्राम‑दिनों की योजना बनानी चाहिए, ताकि खिलाड़ी भरपूर आराम के साथ फिर से मैदान में आएँ।
Ayush Sanu
अक्तूबर 15, 2025 AT 23:26
गौतम गंभीर का चलन सिद्धांत में सटीक है, परन्तु वास्तविकता में खिलाड़ियों की थकान को नजरअंदाज किया गया है। आगे बढ़ते हुए हमें दोनों पहलुओं को संतुलित करना चाहिए। केवल घरेलू मैचों पर निर्भरता दीर्घकालिक स्थिरता नहीं दे सकती।
Mukesh Yadav
अक्तूबर 16, 2025 AT 00:50
भाई लोगो, इस बिंदु पर हमें अपने देश की टीम को पूरी ताकत से समर्थन देना चाहिए! बोर्ड का यह फैसला हमारे राष्ट्रीय गौरव को बढ़ाएगा, विदेशी शेड्यूल को ठीक-ठाक करने की कोशिश में जाया गया काला षड्यंत्र यही है। अब हमें सबको एकजुट होकर इस नीति को लागू करना होगा।
Yogitha Priya
अक्तूबर 16, 2025 AT 02:13
देखिए, हमारे खिलाड़ी घर के मैदानों में खेलें या नहीं, यह एक नैतिक सवाल है। निरंतर खेलना उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को नुकसान पहुँचा सकता है, यही मेरा सच है। सभी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जीत के पीछे इंसानियत न खोएँ।
Rajesh kumar
अक्तूबर 16, 2025 AT 03:36
यो योजना बिल्कुल सही है क्योंकि भारत को लगातार जीतने की जरूरत है।
हमारे खिलाड़ियों को घरेलू मैदान की विविधता में निपुण होना चाहिए।
रणजी ट्रॉफी में खेलकर वे पिच की बदलती परिस्थितियों को समझेंगे।
यह सिर्फ तकनीकी अभ्यास नहीं, बल्कि मानसिक मजबूती भी देगा।
लगातार मैच खेलने से बॉलर्स की लीडरशिप और बॅटर की स्टेमिना बढ़ेगी।
अगर हम इस अवसर को छोड़ देंगे तो अफ्रीका की तेज़ पिचों पर हम असहाय रहेंगे।
बोर्ड ने भी इस दिशा में समर्थन दिया है, इससे कोई संदेह नहीं बचता।
कई अनुभवी खिलाड़ी पहले ही अपनी राज्य टीमों में वापस जाने की पुष्टि कर चुके हैं।
यह कदम भविष्य के युवा प्रतिभाओं के लिए एक मजबूत पैड बनाता है।
दीर्घकालिक दृष्टिकोण से यह भारत की टेस्ट शक्ति को वैश्विक स्तर पर बढ़ाएगा।
आलोचक कहते हैं थकान बढ़ेगी, पर सही रोटेशन के साथ यह प्रबंधनीय है।
हमारे कोचेज़ भी इसे प्रशिक्षण का सबसे प्रैक्टिकल हिस्सा मानते हैं।
अगर खिलाड़ी इस फ़ॉर्मेट को अपनाते हैं तो उनकी तकनीकी क्षमताएँ तेज़ी से विकसित होंगी।
इस प्रकार की निरंतर प्रतियोगिता से राष्ट्रीय टीम का आत्मविश्वास भी मजबूत होगा।
अंत में, हमें ये याद रखना चाहिए कि जीत की चाहत के लिये दर्द जरूरी है।
इसलिए मैं पूरी तरह से इस नीति का समर्थन करता हूँ।
One You tea
अक्तूबर 16, 2025 AT 05:00
बोर्ड ने सही फैसला किया।
Hemakul Pioneers
अक्तूबर 16, 2025 AT 06:23
राजेश जी, आपका विस्तृत विश्लेषण सराहनीय है।
मैं मानता हूँ कि निरंतर खेलने से खिलाड़ी का अनुभव बढ़ता है, परंतु रोटेशन की योजना भी उतनी ही महत्त्वपूर्ण है।
व्यावहारिक तौर पर, बॉलर थकान को देखते हुए विश्राम दिवसों की व्यवस्था जरूरी है।
इस संतुलन से ही हमारी टेस्ट टीम की स्थिरता बनी रहेगी।
Shivam Pandit
अक्तूबर 16, 2025 AT 07:46
मुकेश जी, आपका उत्साह देखकर अच्छा लगा!!! लेकिन, चुनिंदा खिलाड़ियों को लगातार खेलना जोखिम भरा हो सकता है; इसलिए उचित रोटेशन और विश्राम योजना बनानी चाहिए; इस दिशा में कोचिंग स्टाफ का सहयोग अनिवार्य है।
parvez fmp
अक्तूबर 16, 2025 AT 09:10
योगीथा भैया, आपका नैतिक बिंदु सही है 😅 लेकिन देखो, क्रिकेट में जीत भी ज़रूरी है 🙌 हमें थोड़ा संतुलन सोचना पड़ेगा।
s.v chauhan
अक्तूबर 16, 2025 AT 10:33
आयुष जी, आप सही कह रहे हैं कि थकान का मुद्दा है, परंतु उचित प्रशिक्षण और प्रबंधन से इसे कम किया जा सकता है। मैं इस नीति को समर्थन देता हूँ, बशर्ते बोर्ड खेलाडियों की कल्याण को प्राथमिकता दे।
Thirupathi Reddy Ch
अक्तूबर 16, 2025 AT 11:56
कुछ लोग इस नीति को लेकर अफवाहें फैला रहे हैं, लेकिन वास्तविकता में यह सिर्फ एक योजना है और इसका कोई गहरा षड्यंत्र नहीं। हमें तथ्यों पर ध्यान देना चाहिए, न कि अटकलबाज़ियों पर।