दिल्ली महिला आयोग (DCW) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल पर एक शख्स ने हमला कर दिया। यह घटना उस समय हुई जब स्वाति मालीवाल राजघाट पर धरने पर बैठी थीं। वह राजधानी में एक 6 साल की बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म मामले में पुलिस की कथित निष्क्रियता के विरोध में धरना दे रही थीं।
स्वाति मालीवाल ने कमला मार्केट थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है। एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया है। मालीवाल का आरोप है कि बिभव कुमार नाम का शख्स कथित तौर पर नशे में धुत था और धरने के दौरान उनके पास आया और उनके साथ दुर्व्यवहार करने लगा। इसके बाद उसने उन पर शारीरिक हमला किया।
स्वाति मालीवाल ने बताया कि आरोपी बिभव कुमार उनके पास आया और गाली-गलौज करने लगा। जब उन्होंने उसे ऐसा न करने के लिए कहा तो उसने उन्हें थप्पड़ मार दिया और सीने व पेट पर लात मारी। हमले के बाद मालीवाल को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है।
दिल्ली महिला आयोग ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है। DCW ने कहा कि यह घटना सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा और कानून प्रवर्तन एजेंसियों से अधिक सुरक्षा और जवाबदेही की आवश्यकता के बारे में चिंताओं को उजागर करती है।
लापरवाह पुलिस पर उठे सवाल
स्वाति मालीवाल ने इस मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि 6 साल की बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में पुलिस ने अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं की है। उन्होंने कहा कि अगर समय पर कार्रवाई हुई होती तो शायद ऐसी घटना न हुई होती।
मालीवाल ने कहा, "मैं पिछले कई दिनों से लगातार इस मामले को उठा रही हूं लेकिन पुलिस ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। बच्ची के परिवार को न्याय नहीं मिल पा रहा है। अगर समय रहते पुलिस सक्रिय हो जाती तो शायद मुझ पर भी हमला न हुआ होता।"
उन्होंने कहा कि दिल्ली में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में पुलिस और प्रशासन को अधिक गंभीरता दिखाने की जरूरत है। साथ ही महिलाओं की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
राजनेताओं ने की कार्रवाई की मांग
स्वाति मालीवाल पर हुए हमले की कई राजनेताओं ने निंदा की है। दिल्ली की मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह घटना बेहद शर्मनाक है। उन्होंने पुलिस से तत्काल कार्रवाई करने और दोषियों को सजा दिलाने की मांग की है।
वहीं बीजेपी सांसद गौतम गंभीर ने भी हमले की निंदा करते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था को बनाए रखना सरकार और पुलिस की जिम्मेदारी है। ऐसी घटनाएं किसी भी सभ्य समाज में बर्दाश्त नहीं की जा सकतीं।
इस घटना ने एक बार फिर दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे को उठा दिया है। आम जनता भी पुलिस और प्रशासन से कड़े कदम उठाने की मांग कर रही है ताकि महिलाएं सुरक्षित महसूस कर सकें और निडर होकर अपने काम काज कर सकें।
Hemakul Pioneers
मई 17, 2024 AT 20:16
समाज में कानूनी सुरक्षा का अर्थ केवल क़ानून होना नहीं, बल्कि उसका सच्चा कार्यान्वयन है। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष को इस तरह की हिंसा का सामना करना लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर प्रश्न उठाता है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों में वृद्धि को रोकने के लिये न केवल कड़ी सजा बल्कि जवाबदेही की संस्कृति बनानी होगी। सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा का भरोसा तभी कायम रहेगा जब पुलिस और प्रशासन समय पर कार्रवाई करे। यह घटना हमें फिर से सोचने पर मजबूर करती है कि न्याय प्रणाली को कितना बहाल करना आवश्यक है।
s.v chauhan
मई 17, 2024 AT 21:16
इस दंगे को जैसा है वैसा ही स्वीकार नहीं किया जा सकता; तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए। जो भी जिम्मेदार होगा, उसे कठोर सजा मिलनी चाहिए।
Thirupathi Reddy Ch
मई 17, 2024 AT 22:16
आमतौर पर ऐसी घटनाओं के पीछे छिपे हुए एजेंडा का हाथ होता है, जिसके कारण असली मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया जाता। पुलिस की नज़रअंदाज़ी केवल एक शर्मनाक गैर‑जवाबदेही नहीं, बल्कि शक्ति के दुरुपयोग की निशानी है। जनता को जागरूक होना चाहिए कि हर मौक़े पर उन्हें बेवकूफ़ नहीं बनाया जाना चाहिए।
Sonia Arora
मई 17, 2024 AT 23:16
स्वाति जी पर हुआ यह हमला दिल को छू लेने वाला है; यह सिर्फ़ उनका व्यक्तिगत दर्द नहीं, बल्कि कई महिलाओं की आवाज़ का प्रतिबिंब है। जब न्याय की सुई भी लुड़कती है, तो समाज के प्रत्येक सदस्य को आवाज़ उठानी चाहिए। हमें इस आहत महिला के साथ खड़ा होना चाहिए, न कि सिर्फ़ आवाज़ देकर। इस तरह के घृणास्पद कृत्य को कभी भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
abhinav gupta
मई 18, 2024 AT 00:16
बिलकुल, हर बार ऐसा ही होता है।
vinay viswkarma
मई 18, 2024 AT 01:16
यह सब सिर्फ़ एक बड़ी दिखावटी मार्केटिंग है।
Jay Fuentes
मई 18, 2024 AT 02:16
हमें इस दुखद घटना से सीख लेनी चाहिए और आगे की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। महिलाएँ और बच्चे अब भी आशा रख सकते हैं अगर हम सभी मिलकर आवाज़ उठाएँ। हर दिन छोटी‑छोटी प्रयास बड़े बदलाव की दिशा में मदद कर सकते हैं। हमें सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देना चाहिए।
Veda t
मई 18, 2024 AT 03:16
देश के भीतर ऐसी असहायता नहीं होनी चाहिए; सरकार को तुरंत कदम उठाना चाहिए। महिलाओं की सुरक्षा हमारा पहला कर्तव्य है।
akash shaikh
मई 18, 2024 AT 04:16
भाईसाब, एतनी बड़ी खबर में बस पुलिस ने कर दिया ‘आँख मारो’ वाला काम।
समझ नहीं आता कि इतना बड़ा मुद्दा क्यों नहीं सुलझा।
जैसे ही असर-नशा खत्म, फिर से वही पुराना सैलाब आ जाता है।
बस, अब तो हँसी भी नहीं आती।
Anil Puri
मई 18, 2024 AT 05:16
दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की बढ़ती प्रवृत्ति को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
स्वाति मालीवाल जैसी प्रतिष्ठित कार्यकर्ता पर हुआ हमला इस मुद्दे की गंभीरता को उजागर करता है।
पुलिस की देर से कार्रवाई और जाँच में पाठी की खामियों ने सार्वजनिक भरोसा तोड़ दिया है।
इस प्रकार की हिंसा केवल व्यक्तिगत आघात नहीं, बल्कि संस्थागत अक्षमता का प्रतीक है।
जब एक अधिकारी भी अपने कर्तव्य से बचते हैं, तो सामान्य नागरिक की सुरक्षा की कल्पना करना अत्यधिक मुश्किल हो जाता है।
हमें कानून के प्रत्येक स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये मजबूत तंत्र स्थापित करने चाहिए।
इसमें स्वतंत्र वॉचडॉग एजेंसियों का निर्माण, पुलिस निरीक्षण बोर्ड की अधिकारिता, और जनसमुदाय की भागीदारी शामिल होनी चाहिए।
साथ ही, महिलाओं के लिए विशेष सुरक्षा योजनाएँ, जैसे तेज़ी से प्रतिक्रिया देने वाले हेल्पलाइन और रियल‑टाइम ट्रैकिंग, अनिवार्य होनी चाहिए।
न्यायिक प्रक्रिया में तेज़ी लाने के लिये विशेष टैबलेट कोर्ट भी स्थापित किए जा सकते हैं।
यह भी आवश्यक है कि सार्वजनिक स्थानों में सीसीटीवी कवरेज को बढ़ाया जाए और डेटा को वास्तविक‑समय में विश्लेषित किया जाए।
मीडिया को ऐसे मामलों को sensationalize करने की बजाय तथ्यात्मक रिपोर्टिंग पर ध्यान देना चाहिए।
नागरिक समाज को भी सक्रिय रहना चाहिए, विरोध प्रदर्शन और जागरूकता अभियान के जरिए दबाव बनाते रहना चाहिए।
शिक्षा प्रणाली में लैंगिक समानता और सम्मान के मूल्यों को स्थापित करने वाले पाठ्यक्रम को अनिवार्य किया जाना चाहिए।
इस प्रकार के बहु‑स्तरीय उपायों से ही हम दीर्घकालिक समाधान की ओर बढ़ सकते हैं।
अंत में, प्रत्येक आरोपी को सख़्त सजा देना ही नहीं, बल्कि पुनरावृत्ति को रोकने के लिये उसके पीछे के सामाजिक कारणों को भी दूर करना आवश्यक है।
तभी दिल्ली जैसे बड़े शहर में सभी नागरिक, चाहे वह पुरुष हो या महिला, सुरक्षित महसूस करेंगे।
poornima khot
मई 18, 2024 AT 06:16
एक सक्रिय नागरिक के रूप में हमें इस मुद्दे को केवल आलोचना तक सीमित नहीं रखना चाहिए। हमें न्यायपालिका के साथ मिलकर साक्ष्य संग्रह को तेज़ और पारदर्शी बनाना चाहिए। साथ ही, महिलाओं के कल्याण के लिए विभिन्न NGOs को फंडिंग और नीति समर्थन देना आवश्यक है। इस दिशा में एक समन्वित रणनीति तैयार करना ही हमारा अगला कदम होना चाहिए।
Mukesh Yadav
मई 18, 2024 AT 07:16
अक्सर यही देखा जाता है कि बड़े खिलाड़ियों के पीछे से धागा कटा रहता है, जिससे ऐसी घटनाएं सामने आती हैं। इस मामले में भी शायद किसी छुपे हुए एजेंडा का खेल है, जो सार्वजनिक ध्यान को भटकाने के लिये किया गया। हमें सतर्क रहना चाहिए और सच्चाई की खोज में एकजुट होना चाहिए। सरकार को भी अपनी पारदर्शिता सिद्ध करनी होगी। तभी हम इस तरह की हिंसा को जड़ से उखाड़ फेंक पाएंगे।
Yogitha Priya
मई 18, 2024 AT 08:16
मेरी नजर में यह हमला सिर्फ़ एक व्यक्तिगत हमला नहीं, बल्कि सभी महिलाओं के अधिकारों पर घातक वार है। हमें इस पर एकसाथ आवाज़ उठानी चाहिए और सख़्त कानूनी कार्रवाई की माँग करनी चाहिए। न्याय के बिना समाज में कोई भी शांति नहीं रह सकती। इस कारण से हमें हर कदम पर सतर्क रहना होगा।
Rajesh kumar
मई 18, 2024 AT 09:16
भारत के नागरिक के रूप में हम अपना कर्तव्य जानते हैं कि किसी भी प्रकार की महिला के खिलाफ हिंसा को बर्दाश्त नहीं कर सकते। यह घटना हमारे राष्ट्रीय मूल्यों और सभ्यता के खिलाफ है, जिससे हमारी प्रतिष्ठा को चोट पहुँचती है। हमें तुरंत पुलिस को सख़्त कार्रवाई करने का आदेश देना चाहिए और सभी जिम्मेदारों को कड़ी सजा दिलवानी चाहिए। साथ ही, महिलाओं की सुरक्षा के लिये विशेष व्यवस्था बनानी होगी, जैसे हर सार्वजनिक स्थल पर सुरक्षा गार्डों की तैनाती। यह एक राष्ट्रीय प्राथमिकता बननी चाहिए, अन्यथा हम अपनी ही धरती से पीछे हट जाएंगे। ऐसे मामलों में जनता का विश्वास ही सबसे बड़ा हथियार है, इसलिए सरकार को तुरंत कदम उठाना चाहिए।
Bhaskar Shil
मई 18, 2024 AT 10:16
सिस्टमिक रिस्क मैनेजमेंट की दृष्टि से, इस प्रकार की हिंसा को रोकने के लिये प्रिवेंशन फ्रेमवर्क को एन्हांस करना आवश्यक है। यहाँ पर स्टेकहोल्डर एंगेजमेंट, डेटा‑ड्रिवेन इंटेलिजेंस, और रियल‑टाइम मॉनिटरिंग को इंटीग्रेट किया जा सकता है। इसके साथ ही, पब्लिक पॉलिसी रिफ़ॉर्म्स को एलायड करने हेतु मल्टी‑लेवल रिकवरी प्लान तैयार किया जाना चाहिए। यह सब मिलकर एक मजबूत सस्पेंशन एन्ड इन्क्वायरी सिस्टम स्थापित करेगा।
Halbandge Sandeep Devrao
मई 18, 2024 AT 11:16
जैसा कि प्राचीन ग्रंथों में उल्लेखित है, न्याय की स्थापना बिना दक्ष निरीक्षण के अपूर्ण रहती है। इस तथ्य की पुष्टि हमें वर्तमान सामाजिक व्यावहारिकताओं में मिलती है। स्वाति मालीवाल के विरुद्ध किया गया हमला केवल व्यक्तिगत आक्रमण नहीं, बल्कि संस्थागत असफलता का प्रतीक है। इस स्थिति में न्यायपालिका को अपनी अप्रत्यक्ष भूमिका को पुनः परिभाषित करना आवश्यक दिखता है। केवल तभी हम सामाजिक व्यवस्था की पुनर्स्थापना की आशा कर सकते हैं।
One You tea
मई 18, 2024 AT 12:16
ये तो बहुत ही बेहतरीन कहानी बन गई है, जैसे सिनेमा में होता है।
एक तरफ़ सुरक्षा के झूठे वादे, और दूसरी तरफ़ वास्तविक हिंसा का सामना।
समाज को अब समझदारी से काम लेना चाहिए, नहीं तो यही चक्र फिर दोहराएगा।
आइए, इस बंधन से बाहर निकलें और सच्ची बदलाव की दिशा में बढ़ें।
Shivam Pandit
मई 18, 2024 AT 13:16
यह घटना एक चेतावनी है, कि हमें सुरक्षा के मानकों को पुनःपरिभाषित करना होगा, और सभी स्तरों पर जवाबदेह बनना होगा, क्योंकि हमारी प्रतिज्ञा केवल शब्दों में नहीं, बल्कि कार्यों में भी दिखनी चाहिए, इसलिए हमें सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देना चाहिए, और नीति निर्माताओं से ठोस कार्रवाई की अपेक्षा रखनी चाहिए।
parvez fmp
मई 18, 2024 AT 14:16
क्या बात है! ऐसे हमलों को देख कर दिल रोते-रोते खट्टा हो जाता है 😡। तुरंत कदम उठाओ, नहीं तो सबको पछताना पड़ेगा 😤। न्याय के बिना कोई समाज नहीं चल सकता! 🙏
Rani Muker
मई 18, 2024 AT 15:16
इस प्रकार की हिंसा का समाधान सामूहिक संवाद और संरचनात्मक सुधारों से संभव है। हमें सभी पक्षों को सुनना चाहिए और साक्ष्य आधारित नीति बनानी चाहिए। इस दिशा में एकजुट प्रयास ही कारगर रहेगा।