भारत में COVID-19 के बढ़ते मामले: स्थिति कितनी गंभीर?
सोचिए, जब लगभग सब कुछ सामान्य लगने लगा था, तभी अचानक भारत में COVID-19 के मामले फिर से सिर उठाने लगे हैं। 12 मई से 19 मई 2025 के बीच देश भर में 164 नए कोरोना केस सामने आए और सक्रिय मामलों की संख्या 257 तक पहुंच गई। गुजरात, बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में संख्या मामूली रही, लेकिन सबसे ज्यादा असर केरल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में दिखा। केरल में 95, तमिलनाडु में 66 और महाराष्ट्र में 56 नए केस रिपोर्ट किए गए हैं।
हालांकि स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि अधिकतर मरीजों में लक्षण हल्के हैं, किसी को अस्पताल में भर्ती की मजबूरी नहीं पड़ी है। बीते कुछ महीनों में कोरोना के गंभीर मरीजों की संख्या बहुत कम या नगण्य रही है। इसके बावजूद विशेषज्ञ हालात पर नजर बनाए हुए हैं।
JN.1 और नए सबवेरिएंट की बढ़ती चुनौती
इस बार जो कोरोना की लहर उभर रही है, वह पिछले वेरिएंट्स से थोड़ी अलग है। JN.1 नाम का नया वेरिएंट, ओमिक्रॉन BA.2.86 की संतति है, जो सबसे तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक JN.1 वेरिएंट XBB.1.5 से डेढ़ गुना ज्यादा तेजी से फैलता है, साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी आसानी से छकाता है।
यही नहीं, LF.7 और NB.1.8 जैसे कुछ और सबवेरिएंट्स भी सीमित दायरे में सामने आए हैं। इंटरनेशनल ट्रेंड्स बताते हैं कि जिन देशों में JN.1 फैला, वहां केस बड़े स्तर पर बढ़े– जैसे सिंगापुर में हफ्ते भर में 28% की छलांग के साथ 14,200 केस सामने आए। हांगकांग में भी हालात कुछ ऐसे ही हैं। इसका मतलब ये नहीं कि भारत में घबराने की जरूरत है, लेकिन लापरवाही बिल्कुल भी नहीं की जा सकती।
रिसर्च में सामने आया है कि फिलहाल भारत में रिपोर्ट हुए केसों में सीरियस या लॉन्ग कोविड के मामले नहीं दिखे हैं। लेकिन एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि वेरिएंट वायरस के स्ट्रक्चर में बदलाव कर सकते हैं और भविष्य में जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।
छोटे शहरों और कस्बों में फिलहाल केस कम हैं, लेकिन केरल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में गर्मी के बावजूद गांव-शहर दोनों इलाकों में केस बढ़े हैं। इसका संबंध मौसम, जनसंख्या घनत्व और स्वास्थ्य सुविधाओं से भी जुड़ा हो सकता है।
सरकार और स्वास्थ्य एजेंसियों की तरफ से अस्पतालों को एडवाइजरी जारी हो चुकी है। सभी जिलों को सख्ती से कहा गया है कि फ्लू जैसे लक्षण या गंभीर सांस संबंधी शिकायतों पर नजर रखी जाए। RT-PCR टेस्टिंग को फिर से बढ़ाने, और जरूरत पड़ने पर आइसोलेशन की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए गए हैं।
टीकाकरण पर खास जोर दिया जा रहा है। GEMCOVAC-19 जैसी नई वैक्सीन उपलब्ध है, जिसके स्टॉक की जांच हो चुकी है। अगर केस तेज़ी से बढ़े, तो सरकार व्यापक स्तर पर वैक्सिनेशन ड्राइव फिर से सक्रिय कर सकती है।
- स्वास्थ्य मंत्रालय की निगरानी लगातार जारी है
- इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम के तहत तेजी से केस रिपोर्टिंग हो रही है
- शुरुआती स्तर पर ही ट्रैकिंग और ट्रीटमेंट की व्यवस्था
- जनता को भीड़भाड़, मास्क और हाइजीन पर ध्यान रखने की सलाह
आज हालात काबू में हैं, लेकिन वायरस की फितरत को देखते हुए लापरवाही भारी पड़ सकती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिस तरह अचानक केस बढ़ते देखे जा रहे हैं, भारत भी किसी भ्रम में नहीं रह सकता। एक्सपर्ट्स का मानना है कि हल्के लक्षणों को भी नजरअंदाज करने की जरूरत नहीं है।