अर्मांड डुप्लांटिस ने पेरिस ओलंपिक 2024 में स्थापित किया पोल वॉल्ट का नया विश्व रिकॉर्ड, तुर्की के यूसुफ डिकेक को किया श्रद्धांजलि

अर्मांड डुप्लांटिस ने पेरिस ओलंपिक 2024 में स्थापित किया पोल वॉल्ट का नया विश्व रिकॉर्ड, तुर्की के यूसुफ डिकेक को किया श्रद्धांजलि

अर्मांड डुप्लांटिस ने पेरिस ओलंपिक 2024 में बिखेरा जलवा

पेरिस ओलंपिक 2024 में अर्मांड डुप्लांटिस ने पोल वॉल्ट में नया विश्व रिकॉर्ड स्थापित कर खेल प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। स्टेड डे फ्रांस में 80,000 दर्शकों के सामने डुप्लांटिस ने 6.25 मीटर की अभूतपूर्व ऊँचाई को पार कर निर्दिष्ट किया कि वह विश्व के सर्वश्रेष्ठ पोल वॉल्ट खिलाड़ी हैं। यह ऊँचाई उनके पिछली स्थापित 6.24 मीटर के रिकॉर्ड से भी अधिक है, जो उन्होंने अप्रैल में जियामेन डायमंड लीग में बनाया था। यह विश्व रिकॉर्ड उनके द्वारा नौवीं बार तोड़ा गया है।

कीर्ति की अद्वितीय उड़ान

इस अद्वितीय प्रदर्शन के साथ, डुप्लांटिस ने ओलंपिक में 6.00 मीटर की ऊँचाई को पार कर स्वर्ण पदक जीतने के बाद इस प्रतिष्ठित छलांग को आईना दिखाया। डुप्लांटिस की इस सफलता ने उन्हें न केवल पोल वॉल्ट के महानतम खिलाड़ियों की श्रृंखला में शामिल किया बल्कि उनकी मेहनत और लगन को भी सलामी दी। उन्होंने इस उपलब्धि के बाद तुर्की के निशानेबाज यूसुफ डिकेक के प्रसिद्ध पोज को अपनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने खुद ओलंपिक में रजत पदक जीता था।

डुप्लांटिस ने इस क्षण को 'आउट ऑफ बॉडी एक्सपीरियंस' बताते हुए कहा कि यह उनके जीवन का सबसे सजीव सपना था। उन्होंने दर्शकों को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनका अपार समर्थन उनके लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है। उन्होंने दबाव में काम करने की क्षमता और वर्ल्ड रिकॉर्ड की तपस्या में अपनी यात्रा को याद किया।

पारिवारिक परंपरा का सम्मान

पारिवारिक परंपरा का सम्मान

डुप्लांटिस की खेल यात्रा का प्रारंभ उनके ट्रैक-एंड-फील्ड परिवार से हुआ था, जहां उनके पिता ग्रेग ने उन्हें प्रारंभिक कोचिंग दी। उनके पास हमेशा से ही खेल के प्रति एक अनोखा समर्पण रहा है। उन्होंने अपने किशोरावस्था से ही कई रिकॉर्ड तोड़े हैं और उनके अंदर दबाव में काम करने की अद्वितीय क्षमता रही है।

इस सफलता ने डुप्लांटिस के जीवन में एक नया अध्याय जोड़ा है, और उनका मानना है कि यह उनके बचपन के सपने को साकार करने जैसा है। पोल वॉल्ट में लगातार शीर्ष स्थान पर रहने और अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को बनाए रखने का दबाव उनके लिए अपनी निजी चुनौती है, जिसे उन्होंने बार-बार सराहा है।

योद्धा की श्रद्धांजलि

योद्धा की श्रद्धांजलि

डुप्लांटिस ने अपने रिकॉर्ड ब्रेकिंग प्रदर्शन के बाद तुर्की के निशानेबाज यूसुफ डिकेक के फेमस शूटिंग पोज को अपनाया। डिकेक ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, 'कॉन्ग्रैचुलेशन्स डुप्लांटिस' और उनकी इस कामयाबी की सराहना की। यह केवल एक खेल भावना का नमूना नहीं था, बल्कि यह डुप्लांटिस के आदर्शों में से एक को उनकी सफलता की श्रद्धांजलि देने जैसा था।

इस अद्वितीय क्षण ने खेल प्रेमियों के दिलों में डुप्लांटिस की एक विशेष जगह बना दी है। उनका यह प्रदर्शन न केवल खेल के इतिहास में अंकित रहेगा, बल्कि आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत रहेगा।

उम्मीद और भविष्य की दृष्टि

उम्मीद और भविष्य की दृष्टि

डुप्लांटिस का मानना है कि पोल वॉल्ट में उन्होंने अपनी मंजिल को पाया है, लेकिन उनकी यात्रा यहीं समाप्त नहीं होती। वह अभी और भी ऊंचाइयों को चूमना चाहते हैं और नई अभियांत्रिकिाओं के माध्यम से अपने प्रदर्शन को और अधिक सुधारना चाहते हैं। भविष्य के ओलंपिक और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में वह अपने देश का नाम और भी ऊंचा करना चाहते हैं।

डुप्लांटिस की यह सफलता न केवल उनकी मेहनत और समर्पण का फल है, बल्कि यह उनके प्रशंसकों और खेल प्रेमियों की उम्मीदों का नतीजा भी है। उनके सफर में जो भी मुश्किलें आईं, उन्होंने उन्हें एक योद्धा की तरह सामना किया और इसे एक नए अवसर में बदल दिया।

इस उल्लेखनीय सफलता के बाद, डुप्लांटिस ने यह साबित कर दिया है कि अगर किसी में लगन और समर्पण हो, तो वह अपने सपनों को साकार कर सकता है। वह आज न केवल एक खिलाड़ी के रूप में, बल्कि एक प्रतीक के रूप में भी पहचाने जाते हैं, जिसने न केवल अपने देश, बल्कि पूरी दुनिया को गर्वित किया है।

10 टिप्पणि

  • VALLI M N

    VALLI M N

    अगस्त 6, 2024 AT 20:24

    अरे भाई, देखा क्या फ्रांस में हमारा इंडियन फ़्लायर कैसे धूम मचा रहा है? 😎 ये रिकॉर्ड तो पूरी तरह से भारत की ताकत दिखाता है! हर बार जब वह ऊँचा कूदता है, तो हमारे दिल भी साथ में कूदते हैं। चलो, यही तो होना चाहिए – दुनिया को बताओ कि हम भी कम नहीं! 🇮🇳

  • Aparajita Mishra

    Aparajita Mishra

    अगस्त 10, 2024 AT 23:04

    अरे यारी, डुप्लांटिस की ऊँची छलांग देख कर तो मन में यही सवाल उठता है कि क्या हमें भी अपनी सीमाओं को इतनी आसानी से तोड़ना चाहिए।
    लेकिन हाँ, अगर हम हर छोटे‑छोटे लक्ष्य को बड़ा बनाकर देखेंगे तो शायद उस दौड़ में हम भी आगे बढ़ेंगे।
    इस लालच के पीछे चल रही तकनीकी ट्रेनिंग और वैज्ञानिक सपोर्ट को भूलना नहीं चाहिए – ये ही असली हथिया है।
    पेरिस की हवा में जो इंटेंसिटी है, वही हमारे दिलों में भी चलनी चाहिए।
    एक तरफ़ तो यह सब बहुत इम्प्रेसिव है, जबकि दूसरी तरफ़ लोगों को अब भी बेसिक एथलेटिक्स की समझ नहीं है।
    जैसे ही वह बार‑बार रिकॉर्ड तोड़ता है, हमारे बच्चों का मन भी यही सोचता है कि “मैं भी कुछ कर सकता हूँ”。
    पर एक बात याद रखो, मेहनत के बिना किसी भी ऊँचाई पर पहुँचना संभव नहीं।
    चार साल पहले जब हमने 6.00 मीटर को पार किया, तो यही आशा थी कि इस साल कुछ बड़ा होगा।
    अब जब वह 6.25 मीटर तक पहुंच गया, तो यह साबित हो गया कि खुद को चुनौती देना जरूरी है।
    हम अक्सर “सपना देखो, लेकिन हकीकत से दूर मत भागो” कहते हैं, और यही इस एथलीट ने दिखाया है।
    उसके द्वारा अपनाया गया तुर्की शूटर का पोज एक सांस्कृतिक इंटेग्रेशन का भी उदाहरण है – जैसे हम सब एक ही मंच पर हैं।
    यह सॉलिडरीटी का एक सिग्नल है, जो दर्शाता है कि खेल में सीमाएँ नहीं होतीं, सिर्फ़ दिल की।
    लेकिन कुछ लोग कहेंगे, “अरे, यह तो सिर्फ़ एक शो है, ग्राउंड रीएलिटी नहीं” – इस बात से मैं पूरी तरह सहमत नहीं हूँ।
    आख़िरकार, हर बार जब कोई रिकॉर्ड तोड़ता है, तो वह एक नई बेंचमार्क सेट करता है, जिससे आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा मिलती है।
    तो चलिए, इस उत्सव को सराहते हैं और अपने छोटे‑छोटे लक्ष्य को भी बड़े पैमाने पर देखेंगे – आखिर ये ही तो जिंदगी का असली मज़ा है।

  • Shiva Sharifi

    Shiva Sharifi

    अगस्त 15, 2024 AT 01:44

    डुप्लांटिस की ये जीत बिल्कुल रोमांचक है, और सच में बॉडी के मैकेनिक्स को समझना मज़ेदार है। अगर तुम्हें वॉल्ट का फॉर्म सही से सेट करना है, तो ज़रूर कोर मोटर स्ट्रेंथ और स्नैप टाइमिंग पर ध्यान देना चाहिए। थोड़ी रूटीन, सही पोशन और कंसिस्टेंट प्रैक्टिस से तुम भी 6 मीटर से ऊपर उछाल सकते हो। बस ध्यान रखो, बहुत ज्यादा थकान से बचो – नहीं तो ब्रेस्ट डिलाइट से वॉक आउट हो जाओगे! (ज्यादह टिप्स के लिए डिमेंशन)।

  • Ayush Dhingra

    Ayush Dhingra

    अगस्त 19, 2024 AT 04:24

    इसे देख कर लग रहा है कि आजकल के एथलीट सिर्फ शौकीन नहीं, बल्कि एक तरह का आशीर्वाद बन चुके हैं। लेकिन सतही तौर पर तो ये सब दिखता है; असल में हमें यह सोचना चाहिए कि क्या इस तरह की प्रतिस्पर्धा हमारे सामाजिक मूल्यों को कमजोर नहीं कर रही? बकरी की पन्नी पर बना ब्योरा ठीक है, लेकिन ये किस्मत नहीं, मेहनत नहीं है? अंत में, सिर्फ़ रिकॉर्ड तोड़ना ही सब कुछ नहीं।

  • Vineet Sharma

    Vineet Sharma

    अगस्त 23, 2024 AT 07:04

    अरे, कोचिंग टेबल पर और भी चमत्कार हो रहे हैं, जैसे कि 6.25 मीटर का “जैजै“ उछाल। यह तो बिल्कुल वैसा ही है जैसे स्कूल में हर कोई “असली” गणित के सवालों को हल कर लेता हो। काश, हमें भी इतना “जादू” मिल जाता तो हमारी रोज़मर्रा की परेशानियों का हल मिल जाता।

  • Aswathy Nambiar

    Aswathy Nambiar

    अगस्त 27, 2024 AT 09:44

    जिंदगी में कभी‑कभी हमें ऐसे लम्मे‑झलमले मोमेंट मिलते हैं जहाँ सब कुछ सही लगता है, पर साथ ही एक अजीब सी खालीपन भी रहता है। डुप्लांडिस का रिकॉर्ड तो बस एक चमकीला सा “शॉर्टकट” है, असली गहराई तो उसके पीछे की कहानी में है – संघर्ष, ध्येय और निरंतरता। अगर हम सब यही समझें तो जीवन में भी “वॉल्ट” मज़बूत बन सकता है।

  • Ashish Verma

    Ashish Verma

    अगस्त 31, 2024 AT 12:24

    यह देखना दिल को स्माइल कराता है कि भारतीय एथलीट्स अब अंतर्राष्ट्रीय मंच पर चमक रहे हैं। 🎉 हमारी संस्कृति में कभी‑कभी “उड़ान” का महत्व रहा है – जैसे कबूतर शांति का प्रतीक है, वैसे ही डुप्लांटिस की ऊँची कूद हमारे राष्ट्र की शक्ति का प्रतीक है। इस भावना को हम अपने युवा लड़कों‑लड़कियों में भी पाउँ। जय हिन्द! 🇮🇳

  • Akshay Gore

    Akshay Gore

    सितंबर 4, 2024 AT 15:04

    सच कहूँ तो, रिकॉर्ड तोड़ना बड़ी बात नहीं, बस ये देखना चाहिए कि किस तरह से ये सब मीडिया में ‘हिट’ बन जाता है। कई बार तो हम सब एथलेटिक परफ़ॉर्मेंस को ही एक ट्रेंड बना देते हैं, जैसे रोज़ की कॉफ़ी में शक्कर। असल में, मेहनत का असली मोल तो धीरे‑धीरे ही समझ आता है।

  • Sanjay Kumar

    Sanjay Kumar

    सितंबर 8, 2024 AT 17:44

    भूलिये मत, हर ऊँचाई सिर्फ़ शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक भी होती है 🌱।

  • adarsh pandey

    adarsh pandey

    सितंबर 12, 2024 AT 20:24

    डुप्लांटिस की इस उपलब्धि पर हार्दिक बधाई। उनका प्रयास और समर्पण हर भारतीय युवा के लिए प्रेरणा है। हमें उनके जैसे खेल भावना को आगे बढ़ाते रहना चाहिए, जिससे हमारे देश का सम्मान और बढ़े। धन्यवाद।

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