रूस के कज़ान शहर में 22 से 24 अक्टूबर 2024 के बीच आयोजित हो रहे 16वें BRICS शिखर सम्मेलन ने आर्थिक व व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ परमाणु सुरक्षा को प्रमुखता दी है। इस सम्मेलन में BRICS देशों के साथ-साथ नव शामिल सदस्य मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने भी भाग लिया है। यह पहली बार है जब BRICS का विस्तार इस स्तर तक हुआ है, जिसमें अनेकों ने सदस्यता ग्रहण की है, जो संगठन की बढ़ती वैश्विक लोकप्रियता को दर्शाता है।
इस बार की बैठक में मुख्य रूप से व्यापार संबंध और परमाणु सुरक्षा प्रमुख मुद्दों के रूप में प्रस्तुत किए गए। BRICS व्यापार परिषद द्वारा पेश किया गया प्रस्ताव कि वित्तीय प्रणाली को विकेंद्रित किया जाए ताकि वित्तीय उपकरणों का हथियार के रूप में उपयोग न किया जा सके, विशेष रूप से रूस ने इसे सक्रिय रूप से समर्थन दिया है, जो कठोर प्रतिबंधों का सामना कर रहा है। भारत का रुख हमेशा स्पष्ट रहा है कि वह एकपक्षीय प्रतिबंधों का पालन नहीं करता है।
परमाणु सुरक्षा 2024 में प्रमुख चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि वैश्विक स्थिति परमाणु युद्ध की खतरनाक दिशा में जा रही है। दक्षिण अफ्रीका यहाँ की भूमिका में तेजी से उभर रहा है, जिसने 1989 में स्वेच्छा से परमाणु हथियारों का परित्याग किया था। इस पहल को BRICS के अन्य देशों के द्वारा भी काफी समर्थन मिला है।
BRICS में अब तक नए सदस्य देशों की भागीदारी देखी गई है और यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। 30 से अधिक देशों ने BRICS से जुड़ने की इच्छा जाहिर की है, जिनमें इंडोनेशिया, वियतनाम, अल्जीरिया प्रमुख हैं। इन देशों की रुचि यह दर्शाती है कि BRICS का वैश्विक व्यापार और निवेश के क्षेत्र में आकर्षण बढ़ रहा है।
BRICS का विस्तार बहुपक्षीय विश्व व्यवस्था की दिशा में एक कदम माना जा रहा है। इसके सदस्य देश न केवल आर्थिक बल्कि सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से भी अपना प्रभाव बढ़ा रहे हैं। BRICS का उद्देश्य एक वैकल्पिक वैश्विक वित्तीय प्रणाली को बढ़ावा देना और वैश्विक व्यापार प्रणाली को नया रूप देना है, जो पश्चिमी वैश्विक प्रभाव के युग से हटकर एक नई दिशा की ओर संकेत करता है।
BRICS देशों में तेजी से व्यापार और निवेश के क्षेत्र में आकर्षण बढ़ा है। इन देशों के बीच निवेश का आकर्षण अन्य देशों की तुलना में और भी अधिक देखा जा रहा है, जो की आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में उनकी प्रगति की दिशा में इंगित करता है। BRICS के निवेश ढांचे और इसकी बढ़ती वैश्विक भूमिका से सदस्य देशों को बड़ा फायदा हो रहा है।
इस सम्मेलन का आयोजन सिर्फ एक बैठक नहीं बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और राजनीतिक स्थिरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। शक तो नहीं कि BRICS आने वाले समय में वैश्विक राजनीति और आर्थिक व्यवस्था की दिशा को नई दिशा देने जा रही है।
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