यूक्रेन में चल रहे संघर्ष के बीच, राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेन्स्की ने एक चौंकाने वाला दावा किया है कि रूस ने अपने सहयोगी उत्तर कोरिया से मदद लेते हुए यूक्रेन में उत्तर कोरियाई सैनिकों की तैनाती की है। यह कदम दिखाता है कि रूस और उत्तर कोरिया के बीच का सैन्य सहयोग अब एक नए चरण में प्रवेश कर चुका है। पहले जहां इन दोनों देशों ने एक-दूसरे को हथियारों और मिसाइलों की आपूर्ति की थी, अब यह सहकार्य सैन्य कर्मियों की तैनाती तक पहुंच गया है। इस प्रक्रिया में, ज़ेलेन्स्की ने विश्व समुदाय को यह संदेश दिया है कि बढ़ते तनाव को कम करने के लिए यूक्रेन को अधिक निर्णायक सैन्य सहायता की आवश्यकता होगी।
रूस और उत्तर कोरिया का संबंध इतिहास में गहराई से जुड़ा हुआ है। शीत युद्ध के समय से ही, सोवियत संघ और उत्तर कोरिया के बीच गहन संबंध थे, जो अब रूस और उत्तर कोरिया के बीच स्थिर रहे हैं। हालांकि इस प्रकार की सैन्य सहायता से जुड़े समझौते शायद ही कभी सार्वजनिक हुए हैं, लेकिन यह नया घटनाक्रम दोनों देशों के बीच बढ़ती सामरिक समानता को दर्शाता है। रूस और उत्तर कोरिया के संबंधों की गहराई का अंदाज़ा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि दोनों देश एक-दूसरे को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को दरकिनार कर सैन्य तकनीक और सहायता मुहैया कराते रहे हैं।
यूक्रेन पहले से ही रूसी आक्रमण का सामना कर रहा है और अब उत्तर कोरियाई सैनिकों की तैनाती की खबरें निश्चित रूप से उस पर भारी पड़ सकती हैं। ज़ेलेन्स्की ने इस नए घटनाक्रम को उत्तर कोरिया और रूस के बीच सैन्य विस्तार के संकेत के रूप में देखा है। उनके अनुसार, यह युद्ध के विस्तार की ओर इशारा करता है, जिसे हर संभव तरीके से रोकना होगा। इसके परिणामस्वरूप अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस परिस्थिति का ठोस जवाब देना चाहिए। जियो-राजनीतिक स्थिति विशेष रूप से संगीन हो जाती है, क्योंकि उत्तर कोरिया पहले से ही विभिन्न देशों के साथ सैन्य समझौतों के तहत रूस को समर्थन दे रहा है।
रूस और उत्तर कोरिया के विधान के खिलाफ यूक्रेन को मिलने वाली अंतरराष्ट्रीय सहायता और समर्थन में शिकंजा कस गया है। दुनिया के कई देश ज़ेलेन्स्की के इस आरोप के बाद से ही चिंतित हैं, और पुतिन प्रशासन पर दबाव डालने के लिए नए उपाय ढूंढ़ रहे हैं। यह समर्थन मध्य-एशिया से लेकर पश्चिम कई देशों से हो सकता है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए खड़े होना मानेंगे। यूरोपीय यूनियन और नाटो संभावित कदमों की समीक्षा कर रहे हैं, ताकि इस स्थिति को अधिकतम समर्थन मिल सके और यूक्रेन में जारी मानव संकट को रोका जा सके।
अमेरिका और यूरोप इस कथित गठबंधन से सचेत हो गए हैं और इससे उभरने वाले ख़तरों पर विचार कर रहे हैं। चिंताएं इस बात की हैं कि यदि रूस और उत्तर कोरिया के बीच यह सहयोग बढ़ता है, तो यह न केवल यूक्रेन बल्कि पूरे यूरोप के लिए संकट का सबब बन सकता है। इसलिए, अधिक सैनिक सहायता, आर्थिक प्रतिबंध, और अंतरराष्ट्रीय दबाव सम्मलित कर इसे रोका जा सकता है। इसे रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एकजुट प्रयास किए जा रहे हैं जो कि अत्यंत महत्वपूर्ण है।
वर्तमान घटनाक्रम सामरिक स्थिरता के लिए खतरा उत्पन्न कर सकता है। हालांकि, उत्तर कोरिया और रूस के इस गठबंधन के संदर्भ में अमेरिका और यूरोपीय संघ समेत अन्य देशों ने स्थिति पर नजदीकी नजर रखी है। संयुक्त राष्ट्र महासभा भी इस मुद्दे पर चिंतित हो गई है और शांति बहाली के लिए हर संभव प्रयास करेंगी। आर्थिक समर्थन, कठोर प्रतिबंध, और नए प्रकार के सहयोग से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सैन्य तनाव को कम करने में मदद मिले।
ऐसे परिदृश्य में, यह अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है कि यूक्रेन को उसकी संप्रभुता की रक्षा के लिए ठोस समर्थन उपलब्ध हो। देशों के बीच सहयोग की मांग बढ़ रही और सभी चाह रहे हैं कि इस संघर्ष का समाधान शांति से हो। विश्व की स्थिरता और शांति के लिए यह स्थिति अत्यन्त महत्व की है और इसके समाधान के लिए सभी देशों को सक्रियता से भाग लेना चाहिए। यह तत्व कूटनीति, सुरक्षात्मक रणनीतियों और समर्थ वैश्विक सहयोग से संभव होगा।
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