हरियाणा में 2024 विधानसभा चुनाव: उत्तराधिकारी की तलाश
5 अक्टूबर 2024 को हरियाणा में 90 सीटों के लिए मतदान संपन्न हुआ। इस बार का चुनाव खास तौर से देखा जा रहा है क्योंकि यह राज्य की राजनीतिक संरचना में बदलाव या निरंतरता का संकेत हो सकता है। 61% की मतदाता भागीदारी इस बात को प्रदर्शित करती है कि जनता इस चुनाव में विशेष रूप से सक्रिय है। प्रदेश के 2.03 करोड़ मतदाताओं ने 1,031 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करने के लिए अपने मताधिकार का उपयोग किया। प्रमुख उम्मीदवारों में लदवा से मौजूदा मुख्यमंत्री नायाब सिंह सैनी (भाजपा), गढ़ी सांपला-किलोई से पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा (कांग्रेस) और उचाना कलान से जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला शामिल हैं।
चुनाव संघर्ष: भाजपा बनाम कांग्रेस
हरियाणा का यह चुनाव कई मायनों में खास है। फरवरी 2024 में भाजपा-जेजेपी गठबंधन सरकार के टूटने के बाद, राज्य में राजनैतिक अस्थिरता का माहौल बना हुआ था। भाजपा यहां अपनी सत्ता को बनाए रखने की कोशिश कर रही है, वहीं कांग्रेस एक दशक के वनवास के बाद फिर से सत्ता में लौटने का प्रयास कर रही है। इस बार के चुनाव में आम आदमी पार्टी, इनेलो-बसपा और आजाद समाज पार्टी जैसे दल भी मैदान में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
प्रमुख उम्मीदवारों में अम्बाला कैंट से भाजपा के राज्य मंत्री अनिल विज, कांग्रेस के परिमल परी और जुलाना से पूर्व पहलवान विनीश फोगाट (भाजपा) शामिल हैं। साथ ही, एलेनाबाद से इनेलो के अभय सिंह चौटाला भी मैदान में हैं।
संभावित परिणाम और राजनीतिक परिदृश्य
8 अक्टूबर को मतगणना के बाद परिणामों की घोषणा की जाएगी, जो राज्य की भविष्य की राजनीतिक दिशा निर्धारित करेंगे। भाजपा की यह कोशिश है कि वह अपनी समर्थन आधार बनाए रख सके, जबकि कांग्रेस सत्ता में लौटने के लिए पूरी कोशिश कर रही है। इस चुनाव के परिणाम राज्य के राजनीतिक परिदृश्य पर काफी प्रभाव डाल सकते हैं।
चुनाव के दौरान भाजपा और कांग्रेस के बीच भू-राजनीतिक रणनीतियों का भी साफ झलक दिखाई दी। यह देखा जाना बाकी है कि इन चुनावी तनावों के बाद जनाजान की किस दिशा में जाएगी। प्रत्याशियों के भाग्य न सिर्फ इनकी व्यक्तिगत राजनीतिक करियर को प्रभावित करेंगे, बल्कि राज्य की राजनीतिक आस्था पर भी दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ सकते हैं।
मतदान प्रक्रिया और जन जागरूकता
विभिन्न राजनीतिक दलों ने मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए बड़े प्रयास किए। विभिन्न मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, जिनमें कृषि संकट, बेरोजगारी और राज्य में सामाजिक न्याय शामिल हैं, उम्मीदवारों ने मतदाताओं को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया। कोरोना महामारी के बाद, लोगों की समस्याएं और बढ़ी हुई हैं, जिनकी ओर राजनीतिक दलों ने विशेष ध्यान दिया है।
मतदान प्रक्रिया को देखने के लिए कई पर्यवेक्षक टीमों को नियुक्त किया गया था, जिन्होंने निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव सम्पन्न होने में योगदान दिया। इस बीच, चुनाव आयोग ने मतदाताओं को भाग लेने के लिए प्रेरित करने के लिए विभिन्न जागरूकता अभियान चलाए।
जनता अब उत्सुकता से चुनाव परिणाम की प्रतीक्षा कर रही है, जो निर्धारित करेंगे कि कौनसा राजनैतिक दल हरियाणा की जनता के भरोसे पर खरा उतरेगा। 8 अक्टूबर का दिन सत्ता के भाग्य का फैसला करेगा और यह देखने की बात होगी कि हरियाणा की जनता कौनसी दिशा में अपनी नई यात्रा शुरू करेगी।
Vishal Lohar
अक्तूबर 6, 2024 AT 05:52
भाई, हरियाणा के इस चुनाव को आप एक हॉट शो समझ रहे हैं, लेकिन असल में यह सिर्फ सत्ता की दांवपेंच है। उम्मीदवारों का बवाल, पार्टी‑पार्टी के झगड़े, और जनता का खोखला भरोसा-सब एक ही मंच पर नाच रहा है। इस मंच पर वो भी जो खुद को “परिवर्तन” कहते हैं, वही पुरानी राजनीति का बर्ताव दोहराते हैं। आपके लिए तो यह एक “ड्रामा” है, पर वास्तविकता में यह हमारे जीवन को झकझोर रहा है।
Vinay Chaurasiya
अक्तूबर 6, 2024 AT 07:20
61% turnout!! लोगों ने दिखाया सक्रियता... पर असली असर? कम!!
Selva Rajesh
अक्तूबर 6, 2024 AT 09:00
हरियाणा के इस चुनाव को देखना ऐसा लगता है जैसे इतिहास की एक नाट्यकला का मंच खुला हो।
जब तक सेंसिटिव मुद्दे जैसे कृषि संकट और बेरोजगारी को ठीक से नहीं समझा जाता, जनता की रोने की लहर थमेगी नहीं।
भाजपा की रणनीति, जो "जबरदस्त" शब्दों में बंटी है, वास्तविक में केवल सत्ता की भूख पर आधारित है।
कांग्रेस की वापसी के सपने, एक दशक के वनवास के बाद, फिर से जड़ नहीं जमाते, क्योंकि आधारशिला नहीं है।
जेजेपी और छोटे दलों की भागीदारी, आवाज़ को बहु-रंग देती है, पर उनके पास प्रभावी नीति नहीं।
चुनावी अभियान में आँधियों जैसी रैली, और जलती हुई बैनर, सब एक ही मकसद से किए गए हैं – वोटों को छीनना।
मतदान के बाद, जब गिनती शुरू होगी, तो अंकों के पीछे छिपी राजनीति उभर आएगी।
अगर परिणाम भाजपा के हाथों में नहीं आता, तो यह एक संकेत होगा कि जनता ने नई दिशा चुनी है।
लेकिन इसी दिशा में कई अंधेरे कदम भी छिपे हैं, जो भविष्य में राजनैतिक अस्थिरता पैदा कर सकते हैं।
मीडिया की कवरेज, कभी भी निष्पक्ष नहीं रही, अक्सर सत्ता के साथ खेलती है।
युवा वोटर, जो डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म से सूचित होते हैं, वही असली परिवर्तन के वाहक हैं।
इस बदलाव को समझने के लिए हमें न केवल मतदान देखना होगा, बल्कि उसके बाद की नीतियों पर भी नज़र रखनी होगी।
किसानों की मांगें, जो सालों से अनसुनी रही हैं, अब अंततः मंच पर आ गई हैं।
बेरोजगारी के मुद्दे को हल करने के लिए क्या ठोस योजना बनायी गयी है, यह अभी अस्पष्ट है।
सामाजिक न्याय की लड़ाई में, हर वर्ग को बराबर मौका मिलना चाहिए, न कि केवल पद की खींचतान।
अंत में, आशा है कि हरियाणा का भविष्य केवल राजनीति से नहीं, बल्कि लोगों की सच्ची भागीदारी से तय होगा।
Ajay Kumar
अक्तूबर 6, 2024 AT 10:40
राजनीति एक चक्र है, जहाँ हर मोड़ पर नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। वोट केवल एक आवाज़ है, लेकिन उसकी शक्ति उससे बड़ी हो सकती है।
Ravi Atif
अक्तूबर 6, 2024 AT 12:20
🌟 देखो भाई, चुनाव सिर्फ वोट नहीं, ये हमारी ज़िन्दगी की कहानी है। 🎭 हर एक कैंडिडेट एक किरदार, और हम दर्शक हैं। 🙏 अगर हम सब मिलकर सही दिशा चुनें, तो कल की सुबह बेहतर होगी। 😊
Krish Solanki
अक्तूबर 6, 2024 AT 14:00
वर्तमान में भाजपा का वोट‑शेयर निरंतर गिरावट दिखा रहा है; यह स्पष्ट है कि उनकी नीति‑निर्धारण में गंभीर विफलता है। कांग्रेस, हालांकि, अपने पुराने एंट्री‑टैक्स को अभी भी नहीं टाल पा रही है, जिससे उनकी विश्वसनीयता धूमिल है। छोटे दलों का आँकड़ा, जबकि प्रतीक्षा में है, लेकिन रणनीतिक योजना की कमी है। इस परिदृश्य में, वैध सुधार की आवश्यकता अत्यावश्यक है।
SHAKTI SINGH SHEKHAWAT
अक्तूबर 6, 2024 AT 15:40
सभी को पता है कि चयन प्रक्रिया के पीछे गहरे षड्यंत्र हैं; अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के संकेत स्पष्ट हैं। अभी तक कोई सार्वजनिक रूप से इस बात को नहीं मानता, पर तथ्य स्वयं बोलते हैं। यदि हम इस काली शक्ति को नहीं पहचानेंगे, तो लोकतंत्र का अंत होगा।
sona saoirse
अक्तूबर 6, 2024 AT 17:20
देखो भाई, राजनीति में जेलेज इसको समज्ना चाहिए की सच्चई काबू नहीं पा सकती। लोग तो बार-बार धोकावन होते है, और हम बुरे बिचारों को फालो कर लेते हैं। सिसटेम को रीफॉर्म करना जरूरी है।