SEBI के कदम से F&O ट्रेडिंग में कमी का खतरा, 'डब्बा' ट्रेडिंग की वापसी की संभावना: अजय बग्गा

SEBI के कदम से F&O ट्रेडिंग में कमी का खतरा, 'डब्बा' ट्रेडिंग की वापसी की संभावना: अजय बग्गा

SEBI के कदम से बाजार में गहराई का अभाव

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) ट्रेडिंग पर नियंत्रण के उपाय बाजार विशेषज्ञों के बीच चिंता का विषय बन चुके हैं। SEBI के इन कदमों के कारण बाजार में गहराई का अभाव हो सकता है और ट्रेडर 'डब्बा' ट्रेडिंग की ओर रुख कर सकते हैं।

अजय बग्गा की चेतावनी

बाजार विशेषज्ञ अजय बग्गा का मानना है कि SEBI के इन कदमों से वास्तविक हेजिंग महंगी और जटिल हो जाएगी। इससे छोटे ट्रेडर अपने निवेश के तरीके बदल सकते हैं और कैश स्टॉक्स और पेनी स्टॉक्स की ओर रुख कर सकते हैं। इससे बाजार में रोजाना की ट्रेडिंग में बड़ा बदलाव आ सकता है। SEBI ने स्पष्ट किया है कि वे वर्तमान में इक्विटी कैश मार्केट में इंट्राडे ट्रेडिंग को नियंत्रित करने की योजना नहीं बना रहे हैं।

बग्गा ने यह भी कहा कि एक्सपायरी डे के दौरान कैलेंडर स्प्रेड बेनिफिट को हटाना एक और चिंता का कारण है। उन्होंने यह उल्लेख किया कि लॉट साइज में वृद्धि और अन्य उपाय बाजार को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे ट्रेडिंग एक्सचेंज से बाहर चली जाएगी और 'डब्बा' ट्रेडिंग शुरू हो सकती है, जिसमें पर्याप्त जोखिम नियंत्रण नहीं है और जो टैक्स ब्रैकेट से बाहर होता है।

विदेशी निवेशकों और खुदरा क्षेत्र पर प्रभाव

बग्गा ने 2008 की याद दिलाई जब विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भारतीय बाजार को स्वागत योग्य और घना पाया था। हालांकि, वर्तमान में स्थिति इतनी अच्छी नहीं है। बग्गा का मानना है कि वर्तमान उपाय खुदरा क्षेत्र को नुकसान पहुँचा सकते हैं, जिससे बाजार की गहराई कम हो सकती है। उन्होंने कहा कि बाजार में गहराई बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है, खासकर विदेशी निवेशकों और खुदरा निवेशकों के लिए।

डब्बा ट्रेडिंग के खतरे

डब्बा ट्रेडिंग के खतरे

बग्गा ने 'डब्बा' ट्रेडिंग के खतरों पर जोर दिया, जो अनियंत्रित होती है और जिसमें जोखिम की उचित नियंत्रण नहीं होता है। इसके चलते बाजार में पारदर्शिता की कमी हो सकती है और निवेशकों को अनावश्यक जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है।

बाजार की गहराई बनाए रखने की आवश्यकता

बाजार के फैसले दीर्घकालिक दृष्टिकोण से लिए जाने चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे सभी वर्गों के निवेशकों के लिए सहायक हों। SEBI के कदमों का आकलन उनके संभावित प्रभाव को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे बाजार की गहराई और पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए उपयुक्त हैं।

उपसंहार

उपसंहार

SEBI के कदमों के प्रति बाजार विशेषज्ञों की चिंताएँ गंभीर हैं। इन कदमों का विश्लेषण ध्यान से करने की आवश्यकता है और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे बाजार की गहराई और पारदर्शिता को प्रभावित न करें।

8 टिप्पणि

  • Akshay Gore

    Akshay Gore

    जुलाई 31, 2024 AT 22:15

    SEBI की ये नई पाबन्दी तो बस डॉलर की कीमत घटाने की साज़िश है।

  • Sanjay Kumar

    Sanjay Kumar

    अगस्त 12, 2024 AT 12:02

    भाई, थोड़ा शांति से बात करते हैं, बाजार में सबको साथ मिलकर चलना चाहिए 😊.

  • adarsh pandey

    adarsh pandey

    अगस्त 24, 2024 AT 01:49

    SEBI के उपायों की सराहना तो की जा सकती है, लेकिन बाजार की गहराई बनाए रखना भी उतना ही ज़रूरी है। छोटे निवेशकों की सुरक्षा के साथ साथ फ्यूचर्स की तरलता भी प्रभावित हो सकती है, इसलिए संतुलन बनाना आवश्यक है।

  • swapnil chamoli

    swapnil chamoli

    सितंबर 4, 2024 AT 15:35

    वास्तव में, यह कदम एक चमकदार परदा है जो बड़े खिलाड़ियों को अपने हाथों में शक्ति केंद्रित करने के लिए तैयार किया गया है।

  • manish prajapati

    manish prajapati

    सितंबर 16, 2024 AT 05:22

    डब्बा ट्रेडिंग का खतरा बिल्कुल समझ में आता है, पर साथ ही हमें यह भी देखना चाहिए कि ये कदम किस हद तक मार्केट को स्थिरता प्रदान कर सकते हैं। छोटे ट्रेडर को नया रास्ता दिखाने के लिए कुछ नियमों की जरूरत भी हो सकती है। आशा है कि SEBI भविष्य में अधिक लचीले उपाय अपनाएगा, जिससे सभी को लाभ हो। चलिए, इस बदलाव को सकारात्मक दिशा में ले चलते हैं!

  • Rohit Garg

    Rohit Garg

    सितंबर 27, 2024 AT 19:09

    SEBI के नए नियमों को समझते हुए सबसे पहले यह कहना चाहूँगा कि बाजार में गहराई का अभाव वास्तव में जोखिम बढ़ा सकता है। जब लॉट साइज बढ़ता है, तो छोटे ट्रेडर के लिए एंट्री पॉइंट सीमित हो जाता है। इस कारण वे अक्सर कैश स्टॉक्स या पेनी स्टॉक्स की ओर आकर्षित होते हैं, जिससे अस्थिरता बढ़ती है। डब्बा ट्रेडिंग की संभावनाएं ऐसी ही परिस्थितियों में उभर कर सामने आती हैं। ऐसे ट्रेडिंग में जोखिम नियंत्रण कमजोर रहता है, जिससे नुकसान की संभावना भी अधिक हो जाती है। इसके अलावा, एक्सपायरी के दिन कैलेंडर स्प्रेड को हटाना भी बाजार को और जटिल बना देता है। विदेशी निवेशकों के लिए यह एक चेतावनी की तरह है कि बाजार में अभी पर्याप्त तरलता नहीं है। खुदरा निवेशकों को भी इस बदलाव से अपनी रणनीति बदलनी पड़ेगी, जो कि हमेशा आसान नहीं होता। दूसरी ओर, SEBI का उद्देश्य निवेशकों की सुरक्षा करना है, लेकिन इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये इंट्राडे ट्रेडिंग पर अत्यधिक प्रतिबंध नहीं लगाए जाने चाहिए। ट्रेडिंग वॉल्यूम में गिरावट आने से ब्रोकरों की कमाई भी प्रभावित होगी, जिससे पूरे इकोसिस्टम पर नकारात्मक असर पड़ेगा। एक बात स्पष्ट है, एकसमान नियम सभी वर्गों के लिए काम नहीं कर सकते। हमें एक लचीला ढांचा चाहिए जिसमें छोटे और बड़े दोनों खिलाड़ी अपना हिस्सा बना सकें। बाजार की गहराई बनाए रखने के लिये लिक्विडिटी प्रोवाइडर्स को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। साथ ही, टेक्नोलॉजी और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके जोखिम नियंत्रण बेहतर किया जा सकता है। अंत में, मैं यह कहूँगा कि हम सभी को मिलकर SEBI के साथ संवाद स्थापित करना चाहिए, ताकि नियमों को संशोधित करते समय वास्तविक ट्रेडिंग परिदृश्य को ध्यान में रखा जाए।

  • Rohit Kumar

    Rohit Kumar

    अक्तूबर 9, 2024 AT 08:55

    आपके विस्तृत विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि संतुलित नियम बनाना कितना ज़रूरी है। मैं आशा करता हूँ कि नीति निर्माताओं को इस बात का ध्यान रहेगा।

  • Hitesh Kardam

    Hitesh Kardam

    अक्तूबर 20, 2024 AT 22:42

    देखो भाई, हमारी मार्केट को विदेशियों के हाथों में नहीं देना चाहिए, यही कारण है कि SEBI को ऐसी सख़्त पाबंदियाँ लगाने चाहिए ताकि देसी ट्रेडर सुरक्षित रहें।

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