हाल ही में पुणे में हुई एक कार दुर्घटना ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है। इस हादसे में दो 24 वर्षीय इंजीनियरों की मृत्यु हो गई। घटना के बाद 17 वर्षीय नाबालिग आरोपी के पिता को गिरफ्तार किया गया है और उन पर धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोप लगाए गए हैं।
पुणे जिला कोर्ट ने पुलिस को नाबालिग आरोपी के पिता को हिरासत में लेने की अनुमति दी है। आरोपी पिता को यरवडा जेल में रखा गया है। पुलिस की जाँच में यह बात सामने आई है कि इस दुर्घटना के बाद तथ्यों को छुपाने और साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने के प्रयास किए गए।
इस मामले में पुलिस ने एक और व्यक्ति अटल गहतकमले को भी गिरफ्तार किया है। अटल गहतकमले ससून अस्पताल में काम करते हैं और उन पर आरोप है कि उन्होंने नाबालिग के रक्त के नमूने के साथ छेड़छाड़ की। इससे पहले, पुणे क्राइम ब्रांच ने ससून अस्पताल के दो डॉक्टरों, डॉ. अजय तावड़े और डॉ. हरी हर्नोर को भी गिरफ्तार किया था, जिन्होंने कथित रूप से नाबालिग के रक्त परीक्षण के परिणामों में बदलाव किया था। पुलिस का दावा है कि नाबालिग के असली रक्त नमूने को फेंक दिया गया था और एक ऐसे व्यक्ति का नमूना लिया गया था जिसने शराब का सेवन नहीं किया था।
इस मामले में नाबालिग आरोपी वेदांत अग्रवाल की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। वेदांत पर आरोप है कि उसने नशे की अवस्था में गाड़ी चलाई और दुर्घटना का कारण बना। इस दुर्घटना में दो निर्दोष युवकों की जान चली गई। पुलिस ने वेदांत को भी हिरासत में ले लिया है और उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत विभिन्न धाराओं में मामले दर्ज किए गए हैं।
पीड़ित परिवार और नागरिक समाज इस मामले में कड़ी सजा की मांग कर रहे हैं। उन्होंने पुलिस और न्यायपालिका से अपील की है कि दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिले ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।
यह मामला हमारे समाज में बढ़ते नैतिक पतन और कानून के प्रति उदासीनता का जीता जागता उदाहरण है। हमें इस घटना से सबक लेना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि दोषियों को उनके कर्मों का फल मिल सके।
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