28 जून को भारी बारिश के बाद दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल 1 की छत गिरने की खबर ने पूरे भारत को झकझोर कर रख दिया। इस हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई और आठ लोग घायल हो गए हैं। दिल्ली एयरपोर्ट, जो देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट है, इसकी संरचना इस घटना के बाद जांच के घेरे में आ गई है।
नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए कहा कि मंत्रालय अन्य ऐसे एयरपोर्ट्स की भी जांच करेगा जिनकी संरचना दिल्ली एयरपोर्ट जैसी है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए एक विशेष ऑडिट किया जाएगा।
इस घटना के बाद यात्रियों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा। दिल्ली एयरपोर्ट, जो देश के कुल घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यातायात का लगभग 20% हिस्सा संभालता है, ने यह घोषणा की कि टर्मिनल 1 से सभी विमान संचालन अस्थाई रूप से निलंबित किए जा रहे हैं।
टर्मिनल 1 के निर्माण कार्य जो 2008-2009 के बीच हुआ था, वर्तमान में विस्तारित किया जा रहा था ताकि इसे 'भविष्य के लिए तैयार' किया जा सके। लेकिन इस घटना ने यात्रियों के लिए नई मुश्किलें पैदा कर दी हैं।
इस घटना के कारण इंडिगो ने 80 से ज्यादा और स्पाइसजेट ने करीब 15 उड़ानें रद्द कर दी हैं, जिससे यात्रियों को भारी असुविधा हो रही है। सरकार ने सभी रद्द उड़ानों का रिफंड सात दिनों के भीतर प्रोसेस करने का आश्वासन दिया है। इसके अलावा, एक 'वार रूम' भी स्थापित किया गया है जो रद्द उड़ानों के यात्रियों को पूरा रिफंड दिलवाने और वैकल्पिक यात्रा मार्गों की टिकटें उपलब्ध कराने में मदद करेगा।
इस घटना के बाद, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) ने घोषणा की है कि सभी बड़े और छोटे एयरपोर्ट्स की संरचनात्मक ताकत की पूरी जांच की जाएगी। यह जांच 2 से 5 दिनों के भीतर पूरी की जानी चाहिए। इस जांच का मुख्य उद्देश्य अन्य एयरपोर्ट्स पर ऐसी घटनाओं को रोकना है।
दिल्ली एयरपोर्ट की टर्मिनल 1 से विमान संचालन को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है और ऐसी संभावना है कि यह तब तक बंद रहेगा जब तक नहीं इस संरचना की पूरी तरह से जांच और मरम्मत नहीं की जाती।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस घटना ने स्पष्ट रूप से इंगित किया है कि एयरपोर्ट संरचना की नियमित जांच और मेंटेनेंस कितना आवश्यक है। यह केवल यात्रियों की सुरक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि एयरपोर्ट्स के संचालन की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
सरकार ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि इस घटना के लिए जिम्मेदार किसी भी ढीलेपन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इससे यह स्पष्ट होता है कि भविष्य में तीसरी पार्टी ऑडिट और कड़े सुरक्षा मानकों का पालन होगा।
दिल्ली एयरपोर्ट की यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना एक बड़ा सबक है जो हमें यह सिखाती है कि संरचनाओं की सुरक्षा और मेंटेनेंस पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। यात्रियों की सुरक्षा और सुचारू विमान संचालन के लिए सरकार और एयरोपोर्ट्स को मिलकर काम करना होगा।
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